कितना काम आएगा राहुल गांधी का नरम हिंदुत्व

Saturday, Nov 25, 2017 - 10:26 AM (IST)

नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। सत्ताधारी भाजपा व कांग्रेस ने पहले चरण के लिए नामांकन भी शुरू कर दिए हैं। हर बार की तरह इस बार मुकाबला एकतरफा नहीं दिख रहा है। वैसे तो पाटीदार नेता हार्दिक पटेल,अल्पेश ठाकोर और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के कांग्रेस खेमे की तरफ चले जाने से पहले ही भाजपा के रणनीतिकारों के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही हैं। लेकिन, भाजपा को कांग्रेस की ओर से सबसे बड़ी चुनौती राहुल गांधी द्वारा अपनाए गए नरम हिंदुत्व  की रणनीति से मिल रही है।  सितम्बर के अंतिम सप्ताह में राहुल ने द्वारकाधीश मंदिर में पूजा करने के साथ चुनाव अभियान की आक्रामक शुरुआत की थी। हिंदुओं की आस्था के मुख्य केंद्र द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर के पुजारी और आसपास मौजूद लोगों ने बेबाकी से अपनी राय जाहिर की। इस मंदिर में कई पीढिय़ों से पूजा कराने वाले एक पुजारी कहते हैं कि वैसे तो यहां भाजपा का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार राहुल गांधी के दौरे के बाद हालात कुछ बदले हुए नजर आ रहे हैं। इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। 

गुजरात की जनता जरूर देगी राहुल का साथ
एक अन्य पुजारी भी कुछ इसी तरह की बात कह रहा था। उसने कहा कि हम राहुल के आने का स्वागत करते हैं, यदि वह गुजरात के हित की बात करते हैं तो गुजरात की जनता उनका साथ जरूर देगी। उन्होंने ऐसे नेताओं के प्रति नाराजगी जाहिर की जो कि केवल चुनाव के समय ही जनता के बीच आते हैं। इसके बाद पांच सालों तक उनके दुख दर्द को सुनने वाला कोई नहीं होता है। उन्होंने कहा कि इस बार ऐसे नेताओं को राज्य की जनता सबक सिखाएगी। मंदिर के पास ही रहने वाले एक फूल विक्रेता ने कहा कि राहुल का यहां आना भले ही चुनावी रणनीति है, लेकिन राहुल इस बार बदले नजर आ रहे हैं और जाति के लोगों के हक की बात कर रहे हैं, जो कांग्रेस के लिए एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। हालांकि वह कहते हैं कि यह भाजपा का गढ़ है जिसे भेदना राहुल गांधी के लिए आसान नहीं होगा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने गढ़ में सेंध लगाना शुरू कर दिया है।

राहुल की रणनीति नेे बदली है फिजा 
राहुल ने 25 सितंबर को द्वारकाधीश मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना के साथ राज्य में चुनाव अभियान की शुरुआत की थी। चुनावी मौसम में राहुल के मंदिर आगमन पर अब तक बहुत चर्चा हो चुकी है। पिछले कुछ महीनों में राहुल ने गुजरात के विभिन्न इलाके के कई मंदिरों में  पूजा की है। राहुल के इस कदम को राजनीतिक विश्लेषक नरम हिंदुत्व की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। दरअसल कांग्रेस गुजरात में अपनी खराब हालत के लिए भाजपा के हिंदुत्व को जिम्मेदार मानती है। एक तरफ राज्य के मुसलमान पूरी तरह से कांग्रेस के साथ हैं, वहीं दूसरी तरफ कांगे्रस राहुल के मंदिर जाने के जरिए भाजपा के हिंदु वोटों का ध्रुवीकरण करने की रणनीति को नाकाम करना चाहती है। यही वजह है कि राहुल के नरम हिंदुत्व पर भाजपा नेता चिढ़ जाते हैं। गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव द्वारका निवासी पाल भाई अंबालिया कहते हैं ‘हिंदुत्व किसी एक दल की बपौती नहीं और न ही भाजपा में होने का मतलब हिंदू होना है। राहुल की नीति से राजनीतिक फिजा बदली है और इसका हमें जरूर लाभ होगा। हालांकि यहां के एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि राहुल के नरम हिंदुत्व के साथ ही हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश का साथ मिलने से कांग्रेस और भाजपा के बीच यहां मुकाबला कड़ा हो गया है। ऐसे में बाजी किसके हाथ जाती है यह कह पाना अभी जल्दबाजी होगी।

भाजपा का राहुल पर वार
राहुल के द्वारकाधीश मंदिर जाने के कुछ दिन बाद नरेंद्र मोदी भी वहां आए और पूजा करने के बाद ओखा के तटीय क्षेत्र व बेट द्वारका टापू के बीच समुद्री पुल की आधारशिला रखी। बेट द्वारका मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है, जहां हजारों कृष्णभक्त पूजा के लिए जाते हैं। उन सबको वहां नाव से जाना पड़ता है। समुद्री पुल बनने से उनको आसानी होगी। मोदी के इस कदम से लोगों में संतुष्टि है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा राहुल के मंदिर जाने से नाखुश है। भाजपा के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने राहुल की तुलना औरंगजेब व अलाउद्दीन खिलजी से करते हुए कहा कि वे दोनों भी मंदिर जाते थे। राहुल भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। राव राहुल के मंदिर जाने को महज नाटक करार देते हैं। माना जा रहा है कि राहुल के नरम हिंदुत्व से भाजपा को उच्च जाति के वोटों में सेंध लगने का डर सता रहा है, यही वजह है कि भाजपा तिलमिलाई हुई है।


 

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