GST ने बेरंग किया होली का रंग

Sunday, Feb 25, 2018 - 02:17 AM (IST)

नई दिल्ली: जी.एस.टी. ने होली के कारोबार का रंग बेरंग कर दिया है। कारोबारियों का कहना है कि एक तरफ  वैट व्यवस्था के मुकाबले जी.एस.टी. में कर की मार ज्यादा है तो दूसरी तरफ  जी.एस.टी. से उलझे कारोबारी बड़े स्तर पर खरीद से परहेज कर रहे हैं। जी.एस.टी. के कारण बिना बिल वाले कारोबार पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। 

कारोबारियों के मुताबिक इस बार पिचकारी, रंग, गुलाल की बिक्री पिछली होली से 30-40 प्रतिशत कम रह सकती है। दिल्ली में सदर बाजार होली के माल की बिक्री का सबसे बड़ा केन्द्र है। यहां से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार व राजस्थान तक माल जाता है। इस बाजार में छोटे-बड़े मिलाकर 80 से 100 कारोबारी गुलाल, रंग, पिचकारी आदि का थोक कारोबार करते हैं। यहां पिचकारी 8 से लेकर 500 रुपए तक बिक रही है। सामान्य रंग के मुकाबले हर्बल रंग 6 गुना कीमत पर मिल रहा है। गुब्बारे का पैकेट 10 से 50 रुपए के बीच मिल रहा है और 12 मुखौटों का पैकेट 150 से 200 रुपए के हिसाब से मिल रहा है। 

ट्रांसपोर्टर नहीं कर रहे माल की ढुलाई
पिचकारी और रंग बेचने वाले अनिल शर्मा कहते हैं कि जी.एस.टी. ने होली का रंग फीका कर दिया है। पिचकारी, रंग और गुलाल का कारोबार यूं भी पूरे साल नहीं चलता बल्कि होली पर ही होता है इसलिए इसके कारोबारी भी होली के आसपास ही दिखते हैं लेकिन इस बार दूसरे राज्यों के छोटे कारोबारी उनसे खरीदारी नहीं कर रहे। जिनके पास जी.एस.टी. क्रमांक नहीं है, उनके माल की ढुलाई ट्रांसपोर्टर कर ही नहीं रहे हैं और बिना बिल के माल भेजा तो पकड़े जाने का डर है। शर्मा बताते हैं कि इसी कारण दूसरे राज्यों से इस बार 40 प्रतिशत कम ऑर्डर आए हैं। 

जी.एस.टी. के कारण सामान हुआ महंगा
सदर बाजार के ही थोक कारोबारी सुभाष शर्मा को जी.एस.टी. से परेशानी है। उन्होंने कहा कि पहले पिचकारी जैसे होली के सामान पर 5 प्रतिशत वैट था लेकिन अब 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लग रहा है। इस कारण यह सामान 10 से 15 प्रतिशत महंगा हो गया है इसीलिए कारोबारी मांग को भांप रहे हैं और ज्यादा खरीदारी की बजाय जरूरत भर का माल खरीद रहे हैं। इससे भी बिक्री सुस्त हो गई है। 

चीन से बनी पिचकारी की मांग कम
दिल्ली में ज्यादातर रंग-गुलाल गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से आता है। उत्तर प्रदेश का हाथरस गुलाल का बड़ा केन्द्र माना जाता है। पिचकारी के मामले में 60-70 प्रतिशत माल चीन से आ रहा है लेकिन पिछले 2 साल में चीन से बनी पिचकारी की मांग घट रही है और महाराष्ट्र, गुजरात तथा दिल्ली-एन.सी.आर. में बनी पिचकारियां अधिक बिक रही हैं। 2 साल पहले तक 80-90 प्रतिशत चीन की पिचकारियां होती थी लेकिन अब भारत में भी पिचकारियां बन रही हैं। इसके अलावा 2 साल से चीन के साथ टकराव के कारण चीनी सामान के बहिष्कार का माहौल है जिससे आयातित पिचकारी बेरंग हो रही है।

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