भारत के ‘बाहुबली’ रॉकेट जीसैट-19 की बड़ी छलांग, अब आम इंसान करेगा स्पेस की सैर
punjabkesari.in Tuesday, Jun 06, 2017 - 08:49 AM (IST)
तिरुवनंतपुरम: भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाते हुए भारी-भरकम संचार उपग्रह जी.एस. एल.वी. मार्क-3 डी1 को प्रक्षेपित कर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। भारत के इस सबसे अधिक वजनी रॉकेट को सोमवार को शाम 5.28 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च करने के 16 मिनट बाद अंतरिक्ष की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। जी.एस.एल.वी. मार्क-3 डी1 अन्य देशों के 4 टन श्रेणी के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की दिशा में भारत के लिए अवसर खोलेगा। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। मोदी ने ट्वीट के जरिए कहा, ‘‘जी.एस. एल.वी. मार्क-3 डी1/जी.एस.ए.टी.-19 मिशन ने भारत को नैक्स्ट जैनरेशन लॉन्च वीइकल और उपग्रह क्षमता के नजदीक पहुंचाया है। देश को गर्व है।’’ आने वाले कुछ सालों में भारत में हाई स्पीड इंटरनेट की शुरुआत होगी। वहीं इसरो ने कहा कि नए जीएसएलवी रॉकेट से इंसानों को स्पेस की सैर कराई जा सकती है।
Congratulations to the dedicated scientists of ISRO for the successful launch of GSLV – MKIII D1/GSAT-19 mission.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 5, 2017
क्या है खासियत
-30 साल की रिसर्च के बाद इसरो ने इसका इंजन तैयार किया।
-3,136 किलोग्राम का संचार उपग्रह जीसैट-19 साथ लेकर गया।
-4000 किलोग्राम तक का पेलोड भूस्थैतिक कक्षा (जी.टी.ओ.) में ले जाने की कैपेसिटी।
-200 हाथियों या 5 बोइंग विमान के बराबर वजन।
1000 किलो तक का पेलोड निचली कक्षा में ले जाने की क्षमता।
The GSLV – MKIII D1/GSAT-19 mission takes India closer to the next generation launch vehicle and satellite capability. The nation is proud!
— Narendra Modi (@narendramodi) June 5, 2017
> स्वदेशी उच्च गति वाले क्रायोजैनिक इंजन का इस्तेमाल।
> सामग्री, डिजाइन और प्रौद्योगिकी मामले में पूरी तरह से स्वदेशी रॉकेट।
> इसके लांच से भारत संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में होगा आत्मनिर्भर।
Heartiest congratulations to ISRO on the historic launch of GSLV-Mk III #PresidentMukherjee
— President of India (@RashtrapatiBhvn) June 5, 2017
क्या है GSLV एमके-3
-GSLV इसरो का सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है। इसका पूरा नाम जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है। इस रॉकेट को इसरो ने डेवलप किया है। इसके जरिए 2001 से अब तक 11 बार सैटेलाइट स्पेस में भेजे जा चुके हैं।
आखिरी उड़ान 5 मई, 2017 को भरी थी, तब यह जीसैट-9 को अपने साथ लेकर रवाना हुआ था।