ऑफ द रिकॉर्ड: रेलवे में प्रभु ने जो कुछ किया गोयल ने बदल दिया

Sunday, Dec 03, 2017 - 09:46 AM (IST)

नेशनल डैस्कः रेल मंत्री पीयूष गोयल विभाग में उन सभी फैसलों को बदल रहे हैं जो उनके पूर्व मंत्री सुरेश प्रभु ने किए थे। प्रभु का तबादला वाणिज्य मंत्रालय में किया गया है। यद्यपि शुरू में गोयल ने महसूस किया कि उनको रेल मंत्री बनाकर पदोन्नति दी गई है मगर शीघ्र ही उन्हें एहसास हुआ कि यह बड़ा साम्राज्य उनके योग्य नहीं क्योंकि यह सबसे बड़ा खतरे वाला मंत्रालय है। अब गोयल ने एक लाख करोड़ रुपए की स्टेशन विकास योजना को रद्द कर दिया जो प्रभु द्वारा शुरू की गई थी। गोयल का कहना था कि 23 स्टेशनों से बोली की प्रक्रिया का समर्थन बहुत निम्न स्तर पर रहा है। अगली कार्रवाई बोली की स्विस चुनौती प्रणाली की है जिसको प्रभु ने अपनाया था।

ऐसी प्रणाली के तहत परियोजना के अधिकारी को कहा जाता है कि वह बोली प्राप्त करे और इसका विज्ञापन दे ताकि अन्य बोलीदाता भी इससे बेहतर बोली दे सकें। गोयल ने इसे भी खारिज कर दिया। रोचक बात यह है कि प्रभु और गोयल दोनों ही चार्टर्ड अकाऊंटैंट हैं और वित्तीय मामलों को अच्छी तरह जानते हैं मगर स्टेशनों से अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने के तौर-तरीकों में उनकी राय भिन्न है।

गोयल ने 5 हजार करोड़ रुपए की उस योजना से भी हाथ खींचने का फैसला किया है जो रेलवे को आई.टी.सी. (सूचना संचार और प्रौद्योगिकी) के नाम से अलग निदेशालय बनाने हेतु नई सूचना प्रौद्योगिकी के लिए दी गई थी। ऐसा दिखाई देता है कि गोयल को विश्वास है कि जिस बात की जरूरत है वह मौजूदा रेलवे ढांचे से प्राप्त की जा सकती है। गोयल ने प्रभु के ट्रांसफॉर्मेशन सैल के लिए निदेशालय बनाने के फैसले को भी रद्द कर दिया है जिसका मकसद राजस्व खर्चे और यात्री सुविधाओं के नए विचारों को लागू करना था।

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