ऑफ द रिकार्ड: मोदी ने वित्तीय इमरजेंसी लगाए बिना 30 प्रतिशत कटौती से घटाया सरकारी खर्च

Wednesday, Apr 15, 2020 - 08:59 AM (IST)

नई दिल्ली: देश में वित्तीय एमरजैंसी घोषित किए बिना केंद्र सरकार के प्रशासनिक एवं अन्य खर्चे घटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नया तरीका अपनाया है। केंद्र सरकार ने आयोगों, ट्रिब्यूनलों, बोर्डों और सभी वैधानिक निकायों के सदस्यों के वेतन में कटौती करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि ये सभी बड़े अधिकारी स्वेच्छा से आगे आकर अपने वेतन में कटौती करवाएं। इस प्रक्रिया में शामिल रहे एक अधिकारी ने बताया कि कोरोना से लडऩे का यह नया तरीका है। 

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों, राज्यपालों, सांसदों आदि के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती के बाद अब सरकार ने सभी सरकारी निकायों के सभी बड़े अधिकारियों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती का फैसला किया है। केंद्र सरकार के अंतर्गत लगभग 200 ऐसे बोर्ड, ट्रिब्यूनल, अपीलीय ट्रिब्यूनल, आयोग काम कर रहे हैं। वित्तीय घाटे की गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला किया। यह कटौती एक वर्ष के लिए होगी। इन बोर्डों और निकायों के सदस्य व अध्यक्ष सेवानिवृत्त नौकरशाह, सेवानिवृत्त न्यायाधीश व विशेषज्ञ होते  हैं। 

यह कटौती सभी बोर्डों में लागू होगी। हालांकि कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है, प्रधानमंत्री कार्यालय इस काम को सिरे चढ़ाने के लिए तालमेल करते हुए इन निकायों के वरिष्ठ पदाधिकारियों की प्रतिक्रिया ले रहा है। सरकार चाहती है कि जो लोग इन महत्वपूर्ण पदों पर हैं, वे स्वयं ही इस कटौती को स्वीकार करें और इसे लागू करने के लिए कोई अध्यादेश या कार्यकारी आदेश पारित नहीं करना पड़े। केंद्रीय विजीलैंस कमिश्नर शरद कुमार व अन्य सदस्यों ने कटौती के लिए अपना अनुमोदन दे दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त भी 30 प्रतिशत वेतन कटौती के लिए आगे आ चुके हैं तथा अन्य निकायों के अध्यक्ष व सदस्य भी इसके लिए हर दिन अपनी हामी भर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों आदि की वेतन कटौती करते हुए यही कहा है कि यह स्वेच्छा से है। केंद्र सरकार के ढांंचे में इन निकायों और बोर्डों की संख्या को देखते हुए वेतन कटौती की यह प्रक्रिया लागू करवाना बहुत बड़ा काम है।

vasudha

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