भारतीय मछुआरों की हत्या : इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ मामला बंद कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार

Friday, Jul 03, 2020 - 10:32 PM (IST)

नई दिल्लीः केरल तट से दूर फरवरी  2012 में दो भारतीय मछुआरों की गोली मार कर हत्या करने के आरोपी इटली के दौ नौसैनिकों के खिलाफ यहां लंबित न्यायिक कार्यवाही बंद कराने के लिये केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय में आवेदन दायर किया है। केन्द्र ने कहा है कि हेग स्थित स्थाई पंचाट अदालत की हालिया व्यवस्था को उसने स्वीकार कर लिया है जिसमें कहा गया कि भारत इस मामले में मुआवजे का हकदार है लेकिन वह इन सैनिकों को प्राप्त शासकीय छूट की वजह से उन पर मुकदमा नहीं चला सकता।

भारत ने इटली के ध्वज वाले तेल के टैंकर एमवी एन्रिका लेक्सी पर सवार दो इतालवी नौसैनिकों -सल्वाटोरे गिरोने और मैसिमिलियानो लटोरे- पर फरवरी, 2012 में भारत के दो मछुआरों की गोली मार कर हत्या करने का आरोप लगाया था। ये मछुआरे भारत के आर्थिक क्षेत्र में मछलियां पकड़ रहे थे।

केंद्र ने न्यायालय में लंबित मामले में बृहस्पतिवार को दायर इस आवेदन में कहा है, ‘‘आवेदक यह कहना चाहता है कि भारत ने स्थाई पंचाट के फैसले को स्वीकार करने का निर्णय लिया है जिसका इस न्यायालय में लंबित मामले की कार्यवाही से संबंध है। केन्द्र ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के तहत इटली के अनुरोध पर इस पंचाट का गठन किया गया है और इसने 21 मई, 2020 को अपना फैसला सुनाया है। आवेदन में कहा गया है कि पंचाट ने इस घटना के संबंध में भारतीय प्राधिकारियों के आचरण को सही ठहराया है और 15 फरवरी, 2012 को सेंट एंटनी जहाज पर सवार भारतीय मछुआरों को हुये नुकसान को इंगित किया है।

आवेदन के अनुसार पंचाट ने अपने फैसले में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के अनुच्छेद 87 (1)(ए) और 90 के तहत इतालवी नौसैनिकों ने जल क्षेत्र में भारत की स्वतंत्रता और अधिकार का उल्लंघन किया है।'' पंचाट ने टिप्पणी की कि सिद्धांत रूप में भारत और इटली का इस घटना पर नौसैनिकों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का समान अधिकार है।

केन्द्र ने कहा है कि पंचाट ने यह पाया कि नौसैनिकों को छूट प्राप्त है और ऐसी स्थिति में भारत इन नौसैनिकों के मामले में अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। केन्द्र के अनुसार पंचाट ने 15 फरवरी, 2012 की घटनाओं की आपराधिक जांच शुरू करने के बारे में इटली द्वारा व्यक्त की गई प्रतिबद्धता का संज्ञान लिया है और कहा है कि भारत को इन नौसैनिकों के मामले में अपने फौजदारी अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल को बंद करने के लिये आवश्यक कदम उठाने चाहिए। केन्द्र ने 12 फरवरी, 2012 की घटना के संबंध में लंबित मामले की कार्यवाही का निस्तारण करने के अनुरोध के साथ पंचाट का फैसला भी न्यायालय के अवलोकनार्थ संलग्न किया है।

Yaspal

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