Teachers Day पर पीएम मोदी ने ऐसे किया विश, गूगल ने बनाया डूडल

Tuesday, Sep 05, 2017 - 11:30 AM (IST)

नई दिल्ली: कहते हैं कि एक गुरू के बिना किसी भी लक्ष्य तक पहुंच पाना संभव नहीं है। गुरु ही आपको जिंदगी जीने का तरीका और उसमें आने वाली मुश्किलों से लड़ने के बारे में बताता है। यही कारण है कि सैकड़ों साल पहले की कई कहानियां ऐसी हैं जिनमें गुरु और शिष्य के रिश्ते को बड़ी ही खूबसूरती से बयां किया गया है. सबसे बड़ा उदारहरण इकलव्य का है जिसने अपने गुरु द्रोणाचार्य को अपना अंगूठा गुरु दक्षिणा के तौर पर दे दिया था। यही वजह है कि भगवान से पहले गुरु का नाम लिया जाता है। 5 सितंबर 1888 को जन्मे देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र आज के दिन शिक्षकों की भूमिका में होते हैं। वैसे कहते हैं कि बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता। कोई अपनी मंजिल को तब ही पा सकता है, जब उसे रास्ता दिखाने वाला शिक्षक उसके साथ हो।



पीएम ने ट्विटर पर कहा
इस खास अवसर पर गूगल ने अपने अंदाज में एनिमेटेड डूडल बनाकर देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि दी और देश वासियों को टीचर्स डे की शुभकामनाएं दीं। पीएम ने ट्विटर पर लिखा है कि अगले 5 साल में बदलाव, सशक्त‍िकरण और नेतृत्व करना सिखाएं। वहीं  गूगल ने एनिमेटेड डूडल में 'g' को एक शिक्षक के रूप में प्रदर्श‍ित किया है, जिसके हाथ में एक किताब है और जो अपने छोटे-छोटे छात्रों को पढ़ा रही है। दरअसल, इस डूडल को देखने के बाद आपको अपने क्लासरूम की याद जरूर आएगी। एनिमेशन का बैकग्राउंड विभिन्न विषयों के साथ बदलता हुआ दिख रहा है।

शिक्षक दिवस आखिर मनाते क्यों हैं?
5 सितंबर को प्रति वर्ष हमारे देश में शिक्षक दिवस श्रद्धा और आदर के साथ मनाया जाता है। हमारे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डां. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की विद्वता और व्यक्तित्व को सम्मान देने के लिए इस तिथि को शिक्षक दिवस के रूप में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ परम विद्वान, महान दार्शनिक, विचारक और बहुत बड़े शिक्षाविद् भी थे। राजनीति में पदार्पण से पहले लगभग 40 वर्षों तक उन्होंने एक शिक्षक के रूप में कार्य किया। उनका हमेशा ये मानना था कि शिक्षक और छात्र के बीच मधुर संबंध रहें और संसार के सारे शिक्षकों के सम्मान में एक दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। 1962 में, जब वे राष्ट्रपति थे, उसी समय कुछ छात्र और उनके अनेकों प्रशंसकों ने 5 सितंबर, जो की डॉ. राधाकृष्णन का जन्मदिन है, उसके मौके पर तथा शिक्षा-जगत में उनके अमूल्य योगदान के लिए इस तिथि को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का सविनय निवेदन किया। तभी से प्रत्येक वर्ष उनकी जन्मदिवस पर यानी कि 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। आज के दिन स्कूल, कॉलेज और कई शिक्षा प्रतिष्ठानों में टीचर और छात्र इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं।

ये भी थे शि‍क्षक
बताया जा रहा है कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अलावा देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी शिक्षक थे। इतना ही नहीं मशहूर लेखक रविंद्र नाथ टैगोर, जेके रोवलिंग, आरके नारायन और रोबर्ट फ्रोस्ट भी शिक्षक थे।

 

 

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