आरक्षण बिल राज्यसभा में पेश, कांग्रेस-सपा और मायावती ने किया समर्थन का ऐलान

Wednesday, Jan 09, 2019 - 08:55 PM (IST)

नई दिल्लीः सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने से जुड़े 124वें संविधान संशोधन विधेयक को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने समर्थन करने की घोषणा की है। राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा और समाजवादी पार्टी के प्रो़ रामगोपाल यादव ने बुधवार को सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान इसका समर्थन करने का ऐलान किया। बसपा प्रमुख मायावती पहले ही बिल के समर्थन का ऐलान कर चुकी है। भाजपा नेता थावरचंद गहलोत ने बिल को सदन में पेश करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक विधेयक है। गहलोत ने कहा कि यह गरीबों के हित में है और केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में नहीं बल्कि सोच-विचार कर ही इस पर फैसला लिया है।

सदन की कार्रवाई पर एक नजर

  • आनंद शर्मा ने कहा कि वर्ष 2014 में उनकी पार्टी के घोषणा पत्र में यह मुद्दा शामिल था और कांग्रेस की ऐसी सोच भी रही है। पहले भी इसके लिए प्रयास किए गए और वर्ष 2006 में इसके लिए आयोग बनाया गया था। इसको लेकर कानून भी बनाए गए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
  • शर्मा ने कहा कि अब तीन राज्यों में मिली हार के बाद यह सरकार इस विधेयक को लेकर आई है और इसको लेकर राजनीति कर रही है।
  • जिस तरह से इस विधेयक को लाने के लिए तेजी दिखाई गई है उसी तरह से महिला आरक्षण विधेयक में भी यह तेजी दिखाई जानी चाहिए।
  • कांग्रेस सदस्य ने मोदी सरकार पर वादा खिलाफी करने का आरोप लगाते हुअ कहा कि प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वायदा किया गया था।
  • युवाओं को सब्जबाग दिखाए गए थे लेकिन हकीकत में नौकरियां कम हुई है। वर्ष 2014 में केन्द्र के 34 लाख कर्मचारी थे और पिछले साढ़े चार वर्षाें से अधिक समय में मात्र 95 हजार भर्तियां हुयी है लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में 97 हजार नौकरियां कम हो गयी हैं।
  • वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र में 11.85 लाख नौकरियां थी जो वर्ष 2017-18 में घटकर 10.88 लाख पर आ गई।
  • शर्मा ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी से निजी क्षेत्र में भी नौकरियां समाप्त हुई है। सबका साथ सबका विकास सोच अच्छा है लेकिन अच्छे दिन कब आएंगें। देश इसका इंतजार कर रहा है। सरकार को अर्थव्यवस्था सुधारने, विकास को पटरी पर लाने का काम करना चाहिए लेकिन वह सपना दिखाने की फितरत में है।
  • भाजपा के प्रभात झा ने सभी दलों के सदस्यों से दलगत भावना से ऊपर उठकर इसका समर्थन करने की अपील करते हुए कहा कि मोदी सरकार के इस पहल से देश की 95फीसदी आबादी आरक्षण के दायरे में आ जाएगी। मंडल आयोग ने भी इस संबंध में सिफारिश किया था और इससे हर भारतीय को लाभ होगा।


राज्यसभा में मोदी सरकार की स्थिति
लोकसभा में तो सरकार के पास बहुमत था लेकिन राज्यसभा में उसके पास अपने दम पर विधेयक पारित कराने के लिए जरूरी संख्याबल का अभाव है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक
राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां सवाल उठा सकती हैं और बिल पर कड़ा रुख अपना सकती हैं। राज्यसभा में भाजपा के पास सबसे अधिक 73 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 50 सदस्य हैं। राज्यसभा में अभी सदस्यों की कुल संख्या 244 है। इतना संख्याबल होने के बावजूद भी भाजपा को बिल पास कराने के लिए विपक्ष के सहयोग की जरूरत है। हालांकि कांग्रेस ने बिल पर समर्थन की बात कही है।

एक नजर राज्यसभा के समीकरण पर
राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत से काफी कम आंकड़ा है। NDA के पक्ष में सिर्फ 90 सदस्य हैं।

NDA की स्थिति
जिनमें BJP के 73, निर्दलीय + मनोनीत 7, शिवसेना के 3, अकाली दल के 3, पूर्वोत्तर की पार्टियों की तीन (बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट+सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट+नागा पीपल्स फ्रंट) और आरपीआई के 1 सांसद हैं।

विपक्ष की स्थिति विपक्ष के पास 145 सांसद हैं
जिसमें कांग्रेस के 50
TMC - 13
समाजवादी पार्टी - 13
AIADMK- 13
BJD- 9
TDP- 6
RJD- 5
CPM- 5
DMK- 4
BSP-4
NCP- 4
आम आदमी पार्टी - 3
CPI - 2
JDS-1
केरल कांग्रेस (मनी)-1
आईएनएलडी- 1
आईयूएमएल - 1
1 निर्दलीय
1 नामित सदस्य शामिल है।

राज्यसभा की कार्रवाई बढ़ाने पर विरोध
भाजपा सहित विपक्षी पार्टियों ने अपने सभी सदस्यों से बुधवार को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए कहा है। वहीं विपक्षी पार्टियों के नेता राज्यसभा की कार्रवाई एक दिन के लिए बढ़ाने के सरकार के ‘‘एकतरफा’’ कदम का भी विरोध कर रहे हैं और वे सदन में विरोध प्रदर्शन करेंगे। लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा दांव खेला है। चुनावों से पहले इस दांव को मोदी का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है।

Seema Sharma

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