राजस्थान: पहले चरण में गहलोत, वसुंधरा की प्रतिष्ठा दांव पर

Saturday, Apr 27, 2019 - 11:03 AM (IST)

जयपुर: राजस्थान में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, दो केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पहले चरण की 13 सीटों पर आज शाम छह बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जायेगा, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित कई नेताओं ने जनसभायें करके चुनावी माहौल गरमाने का प्रयास किया है। राहुल गांधी का राफेल विमान में भ्रष्टाचार का मामला कमजोर पड़ता दिखाई दिया जबकि किसान, आदिवासी और गरीबों के लिये हर महीने छह हजार रुपये की पेशकश पर ज्यादा जोर रहा।

मोदी पर केंद्रित रहा चुनाव प्रचार
भाजपा का पूरा चुनाव प्रचार मोदी पर केंद्रित रहा, उम्मीदवार एवं स्थानीय मुद्दों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। इन 13 सीटों में सबसे ज्यादा चर्चित जोधपुर एवं झालावाड़ की सीटें हैं, जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव तथा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। सिंह के चौथी बार लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने के कारण इस बार श्रीमती राजे वंशवाद के निशाने पर नहीं आई, लेकिन वैभव गहलोत का यह पहला चुनाव होने से उनके पिता अशोक गहलोत पर वंशवाद और प्रतिष्ठा को दांव पर लगाने के तीखे आरोप लगाये जा रहे हैं। भाजपा ने जोधपुर में अपने उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह को अकेला नहीं छोड़ा । वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा एवं पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का रोड शो करवाकर मतदाताओं पर छाप छोड़ने के साथ प्रदेश सरकार की ताकत तोड़ने का प्रयास किया। इसके विपरीत कांग्रेस में बड़े नेताओं के दौरे जोधपुर में नहीं हुए, मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने ही प्रचार का मोर्चा संभाल रखा है।

सचिन पायलट पर काफी दबाव
पाली से केंद्रीय मंत्री पी पी चौधरी का पूर्व सांसद एवं कांग्रेस उम्मीदवार बद्री जाखड़ से कड़ा मुकाबला है। चौधरी का टिकट मिलने से पहले काफी विरोध हुआ था, लेकिन उन्हें अब मोदी लहर का ज्यादा भरोसा लगता है। अजमेर में कांग्रेस के नये चेहरे रिज्जु झुनझुनूवाला का मुकाबला भाजपा के पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी से है। इस सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के रघु शर्मा विजयी रहे थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में जीतकर वह अब गहलोत सरकार में मंत्री हैं। इस लिहाज से शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट भी अजमेर से सांसद एवं केंद्रीय मंत्री रहे हैं, लिहाजा यह सीट जिताने का उन पर काफी दबाव है। कोटा में सांसद ओम बिरला का मुकाबला पूर्व सांसद रामनारायण मीणा से है। इस बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोटा में हवाई अड्डा बनाने का आश्वासन देकर शिक्षा नगरी को लुभाने का प्रयास किया है। 

विधायकों की नाराजगी भाजपा पर पड़ सकती है भारी 
भाजपा में पूर्व विधायक प्रहलाद गुर्जर एवं भवानी सिंह राजावत की नाराजगी भी भाजपा उम्मीदवार को भारी पड़ सकती है। चित्तौड़गढ़ में सांसद चंद्र प्रकाश जोशी का मुकाबला कांग्रेस के गोपाल सिंह ईडवा से है जो पूर्व में राजसमंद से सांसद रह चुके हैं। यहां राजपूत बहुल मतदाताओं के बावजूद भाजपा उम्मीदवार जोशी की लोकप्रियता के कारण उनके जीतने के कयास ज्यादा लगाये जा रहे हैं। टोंक सवाई माधोपुर से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री नमो नारायण मीणा से है। भीलवाड़ा में सांसद सुभाष बहेड़यिा का मुकाबला कांग्रेस के नये चेहरे रामपाल शर्मा से है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की लहर के विपरीत अपने जातिगत समीकरण के कारण ब्राम्हण जाति के भाजपा उम्मीदवार बिट्ठल की जीत को देखकर कांग्रेस ने यहां से ब्राम्हण उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा का गढ़ रहा यह क्षेत्र इस बार भी मोदी लहर पर सवार होकर बहेड़यिा की जीत की आस लगाये बैठा है।       

अमित शाह की सभा के बाद गरमाई राजनीति
जालौर में भाजपा सांसद देवजी पटेल के सामने कांग्रेस के पूर्व विधायक रतन देवासी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सभा होने से यहां चुनावी माहौल काफी गरमा गया है। बांसवाड़ा में मानशंकर निनामा का टिकट काटकर भाजपा ने पूर्व विधायक कनकमल कटारा को उम्मीदवार बनाया है, जिनका इस बार मुकाबला कांग्रेस के ताराचंद भगोरा से होगा। दोनों उम्मीदवार काफी अनुभवी हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों से यह पता चलता है कि कांग्रेस के लिये अब यह क्षेत्र ज्यादा सुरक्षित नहीं रह गया है। उदयपुर में भाजपा ने सांसद अर्जुनलाल मीणा को पूर्व सांसद एवं कांग्रेस उम्मीदवार रघुवीर मीणा के सामने खड़ा किया है।  राजसमंद में भाजपा और कांग्रेस के दोनों नये चेहरों के बीच मुकाबला है। भाजपा उम्मीदवार दियाकुमारी के जयपुर राजघराने से सम्बन्ध होने के कारण यह मुकाबला युवरानी और कांग्रेस के साधारण कार्यकर्ता के बीच रोचक होने वाला है। कांग्रेस उम्मीदवार देवकीनंदन के सामने चुनाव लड़ रही दियाकुमारी सवाई माधोपुर से विधायक रह चुकी हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उनको टिकट नहीं मिला। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की उनके प्रति नाराजगी की अफवाह भी तब काफूर हो गई जब  राजे ने भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में सभा करके उन्हें जिताने का अनुरोध किया। 

vasudha

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