बगावत की फ्लाइट पर सवार पायलट, पॉलिटिकल प्लेन क्रैश का खतरा

Tuesday, Jul 14, 2020 - 10:19 AM (IST)

नेशनल डेस्क: राजस्थान के सियासी रण में जारी शह-मात के खेल में पायलट पर गहलोत भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। हालांकि, डेढ़ साल पहले कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने गहलोत को सी.एम. बनाने का फैसला किया था तो पायलट को पार्टी में एक विक्टिम के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन पार्टी में बगावत की राह अख्तियार कर सचिन पायलट कहीं अपनी छवि को धूमिल तो नहीं कर रहे हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस की जीत के हीरो बने सचिन पायलट ने अब सी.एम. अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। पायलट के भाजपा में जाने की अटकलों के बीच कांग्रेस ने अपने तेवर सख्त कर लिए हैं। 


सचिन पायलट विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच कर रही एस.ओ.जी. के नोटिस के बाद से ही नाराज हैं। उन्हें कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इस सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अशोक गहलोत के साथ खड़ा नजर आ रहा है। वहीं, तीन दिन से दिल्ली में जमे होने के बाद भी सचिन पायलट की शीर्ष नेताओं से मुलाकात नहीं हो पाना क्या यह संकेत नहीं है कि उनके लिए मौके खत्म हो चुके हैं? इससे साफ जाहिर है कि कांग्रेस आलाकमान पायलट से ज्यादा गहलोत को तवज्जो दे रहा है। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व द्वारा जयपुर भेजे गए नेता गहलोत सरकार को बचाने में जुटे हैं।


इस राजनीतिक शह-मात के खेल में सचिन पायलट को ही राजनीतिक नुक्सान होता नजर आ रहा है। वह कांग्रेस में नंबर दो की हैसियत के नेता हैं, लेकिन भाजपा में जाते हैं तो यह पोजीशन हासिल नहीं कर पाएंगे। 2018 में कांग्रेस को जीत दिलाकर वह हीरो बने थे, लेकिन बगावती रुख से सचिन पायलट सिर्फ और सिर्फ अपना नुक्सान ही करते जा रहे हैं। राज्य में एक अच्छी-खासी चलती सरकार को अस्थिर करने का आरोप भी सचिन पायलट पर लग रहा है। इसके अलावा कांग्रेस के ज्यादातर विधायक अभी भी गहलोत के साथ हैं, इसीलिए कांग्रेस नेतृत्व ने पायलट से ज्यादा गहलोत को अहमियत दी है। वहीं भाजपा ने भी पायलट को सी.एम. बनाने से इंकार कर दिया है।

 

विधायक दल की बैठक में न आने पर कांग्रेस से निकाले जा सकते हैं पायलट 
सचिन पायलट के बागी तेवरों के बाद अब कांग्रेस पार्टी भी बैकफुट पर आने के मूड में नहीं है। सोमवार सुबह होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं आए। ऐसे में सभी को पार्टी से बाहर निकाला जा सकता है। अगर सचिन पायलट को पार्टी से बाहर निकाला जाता है तो जाहिर है कि उनसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छिन जाएगा। पार्टी रघुवीर मीणा को तुरंत राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष बना सकती है। रघुवीर मीणा अभी कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं। वह पूर्व में सांसद और विधायक भी रह चुके हैं।

...तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी भी नहीं छोडऩा चाहते सचिन
जयपुर : सचिन पायलट करीब साढ़े 6 साल से राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनके समर्थक चाहते हैं कि यह पद पायलट के पास ही बना रहे, जबकि मांग चल रही है कि प्रदेश अध्यक्ष बदला जाए। गहलोत खेमे की ओर से प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ब्राह्मण कोटे से रघु शर्मा, महेश जोशी और जाटों से लाल चंद कटारिया, ज्योति मिर्धा का नाम आगे किया जा रहा है। इसके अलावा रघुवीर मीणा का भी नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लिया जा रहा है। इस पर आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान को लेना है। वहीं, सचिन पायलट राज्य में पार्टी की कमान अपने पास ही रखना चाहते हैं। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने डिप्टी सी.एम. और प्रदेश अध्यक्ष में से किसी एक पद को चुनने का विकल्प सचिन पायलट को दिया है।
 

vasudha

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