इक बंगला बना न्यारा: वसुंधरा राजे के पक्ष में केस लड़ रही गहलोत सरकार
Sunday, Jul 19, 2020 - 09:25 AM (IST)
नेशनल डेस्क: जब भाजपा पर यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को गिराना चाहती है, ऐसे समय में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे पर यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने गहलोत सरकार को बचाने के लिए कुछ विधायकों को फोन किए थे। अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे चाहे कहने को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं परंतु गहलोत सरकार उन पर पहले दिन से ही मेहरबान रही है। इतनी अधिक मेहरबान कि वह उनके पक्ष में अदालत में केस तक लड़ रही है। कहानी बड़ी रोचक है।
मुद्दा यह है कि वसुंधरा राजे जयपुर के सिविल लाइंस में बंगला नंबर-13 में रह रही हैं। अदालत में कानूनी लड़ाई यह चल रही है कि क्या मुख्यमंत्री पद गंवा चुकी वसुंधरा राजे को इस भव्य बंगले में रहने का अधिकार है या उनसे यह बंगला खाली करवा लिया जाना चाहिए। फरवरी में गहलोत सरकार ने हाईकोर्ट में एक अवमानना याचिका पर अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि वसुंधरा राजे एक विधायक के रूप में इस बंगले में रह रही हैं।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 4 सितम्बर, 2019 को फैसला सुनाया था कि कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगले तथा उससे जुड़ी सुविधाओं का हकदार नहीं है। हाईकोर्ट के इस फैसले को जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्य किया था। इसी फैसले को आधार बनाते हुए मिलाप चंद डांडिया नामक व्यक्ति ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में गहलोत सरकार के खिलाफ याचिका देकर वसुंधरा राजे को बंगला देने को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में वसुंधरा राजे सरकार द्वारा 2017 में राजस्थान मंत्री वेतन (संशोधन) अधिनियम में किए गए उस संशोधन को निरस्त कर दिया था जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री को एक बंगला, कार, टैलीफोन, 9 सदस्यों का स्टाफ रखने का अधिकार प्रदान किया गया था।
वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट के इस फैसले को बाद में गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी परंतु 6 जनवरी को शीर्ष अदालत ने अपील को निरर्थक मानते हुए उसे खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गहलोत सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाडिय़ा से बंगला नंबर 5 खाली करवा लिया था, परंतु ऐसा समझा जाता है कि बंगला खाली करने का वैसा नोटिस वसुंधरा राजे को नहीं दिया था।
गहलोत सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि उसकी ओर से कोई अवमानना नहीं की गई है क्योंकि वसुंधरा राजे के सारे स्टाफ को जनवरी में हटाकर वापस उनके मूल विभागों में भेज दिया गया है। इसके अलावा वसुंधरा व पहाडिय़ा ने अपनी कारें (ड्राइवर समेत) तथा अन्य सुविधाएं भी लौटा दी हैं। याचिकाकत्र्ता मिलाप चंद डांडिया का अदालत में कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद वसुंधरा से अब तक बंगला नहीं खाली करवाया गया इसलिए हाईकोर्ट के आदेश के समय से जब तक कि वसुंधरा राजे बंगला खाली नहीं कर देतीं, तब तक नियमानुसार प्रतिदिन 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाना चाहिए।