जब बारामूला में सईद अली शाह गिलानी को मतदाताओं ने किया था रिजेक्ट

Saturday, Mar 23, 2019 - 07:01 PM (IST)

जम्मू (उदय): चुनाव बॉयकाट की काल देकर कश्मीर के आवाम को लोकतांत्रित प्रक्रिया से दूर रखने वाले कट्टरपंथी अलगाववादी नेता अली शाह गिलानी को दो लोकसभा चुनावों में मतदाताओं ने रिजेक्ट कर दिया था। गिलानी ने 1971 में बारामूला से मध्यावधि लोकसभा चुनाव लड़ा और नेशनल कांफ्रेस के सईद अहमद आगा से 64,428 हजार मतों से हार गए। उस चुनाव में 4 उम्मीदवार मैदान में थे जिसमें सईद अहमद आगा को 93,041 मत पड़े जबकि सईद अली शाह गिलानी को 28,543 मतों से संतोष करना पड़ा था। लोकसभा के 1971 के चुनावों में बारामूला में 1, 82,378 वोट पड़े थे जबकि कुल 3,70,245 मतदाता थे।


सईद अली शाह गिलानी ने दोबारा 1977 में हुए लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़ कर 4,53,765 पहुंच गई और 2, 47,424 मतदाताओं ने अपने मतदाधिकार का प्रयोग किया था। इन चुनावों में पिछले चुनावों के मुकाबले अली शाह गिलानी का मतदान प्रतिशत बढ़ा ओर उन्हें 1,00,002 वोट पड़े परन्तु नेशनल कांफ्रेस के अब्दुल अहद से 47,220 वोटो से हार गए। अहद को 1, 47,222 वोट पड़े थे। हालांकि गिलानी ने सोपोर विधानसभा से तीन बार चुनाव लड़ा और जम्मू कश्मीर विधानसभा के सदस्य रहे। उन्होंने 1972, 1977 और 1987 में विधानसभा चुनाव लड़ा और विधायक रहे।


अली शाह गिलानी दोनों बार नेशनल कांफ्रेस के उम्मीदवार से चुनाव हारे परन्तु 1989 के चुनावों में हुई कथित धांधली के बाद कश्मीर में सशस्त्र आतंकवाद पनपने के साथ गिलानी का आधार बढ़ा और आज उनके आहवान पर कश्मीर में आए दिन हड़ताल रखी जाती है और सियासी दलों में भी उनका प्रभाव है। यही वजह है कि जिस पार्टी के उम्मीदवार ने उन्हें हराया उसी पार्टी के प्रधान  डॉ फारूक अब्दुल्ला ने अली शाह गिलानी से मार्गदर्शन मांगा ताकि कश्मीर में हालात को सुधार जा सके। हालांकि जब उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे तो गिलानी उनके निशाने पर रहे। उमर कश्मीर के खराब हालात के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराते रहे हैं कि सर्दियां नई दिल्ली में बिताने के बाद अक्सर गिलानी कश्मीर वापिस आने पर माहौल को बिगाड़ देते हैं जब कश्मीर में गर्मियां शुरू होते ही टूरिस्ट सीजन होता है।
 

Monika Jamwal

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