100 साल में पहला मौका'' जब लातूर में गणेश प्रतिमाएं नहीं की गई विसर्जित

Thursday, Sep 12, 2019 - 08:54 PM (IST)

मुंबई: मराठवाड़ा क्षेत्र के लातूर जिले में एक सदी से अधिक समय में संभवत: यह पहला अवसर है जब गंभीर जल संकट के चलते गुरुवार को गणेश भगवान की प्रतिमाएं विसर्जित नहीं की गई। स्थानीय अधिकारियों ने यह जानकारी दी। स्थानीय निकाय अधिकारी और सामाजिक संस्थाओं के स्वयंसेवी शहर में विसर्जन स्थानों पर मुस्तैद थे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी व्यक्ति प्रतिमाओं को उन स्थानों पर विसर्जित नहीं कर सकें जहां आमतौर पर विसर्जन किया जाता था।

स्थानीय निर्मल्य समूह के करीब 70 स्वयंसेवी इसके लिए चौकसी कर रहे थे कि सभी प्रतिमाएं एक निर्धारित स्थान पर ही रखी जाएं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लातूर में हर साल गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले सात स्थानों पर ‘एक बूंद भी पानी' नहीं है। लातूर जिला कलेक्टर जी श्रीकांत ने बताया कि विसर्जन प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला जन जागरूकता का है और शहर में गणेश मंडलों की समीक्षा बैठकों के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया।


उन्होंने कहा,‘बड़े मंडल पिछले तीन-चार साल से प्रतिमाओं को दोबारा उपयोग में ला रहे हैं। यह मंडलों का सामूहिक फैसला है ताकि विसर्जन से बचा जा सके और प्रतिमाओं का दोबारा उपयोग किया जाए या उन्हें दान कर दिया जाए।'श्रीकांत ने कहा, ‘नगर निगम ने प्रतिमाओं को मंदिर में एकत्र कर रखे जाने की व्यवस्था की है। यदि प्रतिमाओं को दोबारा उपयोग में लाया जाता है और पुनर्चक्रण किया जाता है तो यह जल संकट से पार पाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका होगा।'

लातूर में एक स्थानीय इतिहासकार ने बताया कि एक सदी से भी अधिक समय में यह पहला मौका है जब शहर में गणेश प्रतिमाएं विसर्जित नहीं की गई। अप्रैल से अगस्त 2016 के बीच रेलवे ने ‘जलदूत' ट्रेन के जरिए लातूर को पेयजल मुहैया कराया था। राज्य सरकार ने तब सांगली जिले के मिराज से मराठवाड़ा के इस सूखा प्रभावित शहर में जलापूर्ति की थी। ट्रेन ने 342 किमी की दूरी तय की थी।

shukdev

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