आज से हो रहा है गणेश उत्सव का आरंभ, जानें खास बातें

Monday, Sep 02, 2019 - 09:31 AM (IST)

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आज गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। 10 दिन तक घर-घर में विराजेंगे बप्पा और 12 सितंबर को विसर्जन होगा। कहते हैं भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की पूजा दोपहर के समय की जाती है। विघ्नहर्ता को घर लाने का शुभ मुहूर्त सुबह लगभग 11.35 से दोपहर 01.15 तक है। 

गणेश जी से सीखें धन निवेश करना
सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लम्बोदर, विकट, विघ्नविनाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन ये सभी भगवान श्रीगणेश के नाम हैं। श्री गणेश सुख, सम्पन्नता और ज्ञान के प्रतीक हैं। लेकिन, उनसे निवेश के भी कई सबक लिए जा सकते हैं।

सिर
भगवान विनायक का विशाल सिर कहता है कि निवेश के मैदान में सफलता हासिल करने के लिए हमें बड़ा सोचना चाहिए।

आंखें
गणेश जी की आंखें बड़ी और तेज हैं। ये प्रतीक हैं कि ध्यान बंटाने वाली तरह-तरह की स्थितियां मिलेंगी। पर हमें अपने लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए। निवेश में सफलता पाने का यह बड़ा मंत्र है।

कान
भगवान गणेश के विशाल कानों से कुछ भी अनसुना नहीं गुजरता है। ये प्रतीक हैं कि प्रभु हर बात सुनते हैं। इनसे सबक लिया जा सकता है कि हमें हर मिलने वाली जानकारी के प्रति खुला नजरिया रखना चाहिए। इनसे दिमाग में नए विचार आते हैं। इसलिए सलाहकारों से बात करते हुए अपने कान खुले रखने चाहिएं।

सूंड
क्या आपने गणेश जी की सूंड को गौर से देखा है? यह कहती है कि अच्छे निवेश को हमेशा बचाना चाहिए। खराब को दुरुस्त करना चाहिए। बशर्ते इसकी जरूरत हो।

फरसा
गणेश जी के हाथ में दिखने वाले फरसे का खास महत्व है। वह इसी फरसे से अपने भक्तों के कष्टों और विघ्नों को दूर करते हैं। निवेश के परिप्रेक्ष्य में यह कहता है कि बाजार में आने वाले उठापटक से चिंतित न होकर इन्हें दूर भगाना चाहिए। बाजार की बड़ी तस्वीर पर ध्यान देना चाहिए। भगवान गणेश का पेट बहुत बड़ा है। इसका भी अपना महत्व है। वह कहता है कि निवेश को बनाए रखते हुए बाजार में आने वाली हर उथल-पुथल को शांति से पचा लेना चाहिए। विघ्नहर्ता गणेश को लड्डू अति प्रिय हैं। उनकी पूजा में ये आकर्षण का केंद्र होते हैं। निवेश के परिप्रेक्ष्य में यह कुछ और नहीं बल्कि निवेश के फायदे का प्रतीक हैं। सच तो यही है कि सारी जद्दोजहद के बाद यही मायने रखता है।

चूहे की सवारी 
चूहा भगवान गणेश की सवारी है। इसके छोटे आकार पर नहीं जाना चाहिए। अगर अपने पर आ जाए तो यह बड़ी तबाही ला सकता है। बस छूट मिलने की जरूरत है। इसी तरह अपनी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को भी लगाम में रखना चाहिए। ये नुक्सान का भी सबब बन सकती है।

Niyati Bhandari

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