‘जनता कर्फ्यू' से वैक्सीनेशन तक: कोरोना के खिलाफ भारत की सालभर की लड़ाई

Thursday, Mar 25, 2021 - 10:13 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस की श्रृंखला को तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘जनता कर्फ्यू' की अपील पर भारत की 130 करोड़ आबादी की सकारात्मक प्रतिक्रिया का एक साल पूरा हो गया है। तब यह वायरस देश के कुछ हिस्सों में फैलना ही शुरू हुआ था। मोदी ने 22 मार्च 2020 को ‘‘लोगों के लिए, लोगों के द्वारा'' 14 घंटे लंबे ‘जनता कर्फ्यू' की घोषणा की थी और इसके बाद से कोरोना पर नियंत्रण पाने में भारत की लड़ाई मजबूत होती गई। बुधवार तक देश में 1,17,34,058 लोग संक्रमित हुए थे और 1,60,441 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद मोदी ने 24-25 मार्च की दरम्यानी रात से 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद गृह मंत्रालय ने अपने पहले दिशानिर्देश को जारी करते हुए लॉकडाउन से छूट दी गई सेवाओं के बारे में स्पष्टीकरण दिया जिनमें स्वास्थ्य और साफ-सफाई कर्मचारी, पुलिस, खाद्य स्टोर, सब्जी एवं दवा की दुकानें शामिल थीं।

बहरहाल, बाजार, मॉल, सिनेमा हॉल, नाई की दुकान, स्वीमिंग पुल को बंद रखने के आदेश दिए गए और सार्वजनिक तौर पर लोगों के इकट्ठा होने जैसी बाहरी गतिविधियों, धार्मिक स्थानों और खेल गतिविधियों को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया। लॉकडाउन की घोषणा होते ही लोगों को आवश्यक सामग्री जुटाने या अपने इच्छित स्थानों तक की यात्रा करने के लिए महज चार घंटे का वक्त मिला।

मानवीय संकट खड़ा हुआ
लॉकडाउन के उस वक्त मानवीय संकट खड़ा हो गया जब हजारों की संख्या में लोग जिनमें अधिकांश प्रवासी मजदूर थे, पैदल ही घरों के लिए निकल पड़े। हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचने को बेताब थके-हारे, भखे-प्यासे लोगों की कहानियां और तस्वीरें जब मीडिया में सामने आने लगीं तो सरकार ने राज्य सरकारों को उनके खाने एवं ठहरने के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए। इस दौरान सौ से अधिक लोगों को सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि कुछ अन्य थकने के बाद रेल की पटरियों पर सो गए और रेलगाड़ी से कटकर उनकी मौत हो गई। दिल्ली का निजामुद्दीन गलत कारणों से खबरों में रहा। यहां काफी संख्या में ‘तबलीगी जमात' के लोगों जमावड़े के बाद यह कोरोना वायरस के ‘हॉटस्पॉट' के तौर पर उभरा था। तीन हफ्ते के बाद कोरोना के मामलों में और बढ़ोतरी को देखते हुए लॉकडाउन को फिर से तीन मई तक बढ़ा दिया गया।

इनको दी गई छूट
गृह मंत्रालय ने 20 अप्रैल को ई-कॉमर्स, कृषि गतिविधियों को अनुमति दे दी, साथ ही दूर-दराज के ऐसे इलाकों में सड़क एवं भवन निर्माण को भी मंजूरी दे दी गई जहां कोरोना वायरस का ज्यादा प्रभाव नहीं था। सरकार ने 25 अप्रैल को आवासीय परिसर में स्थित दुकानों को भी मंजूरी दे दी जो आधी क्षमता के साथ खुल सकती थीं। इसके बाद लॉकडाउन को 17 मई तक और फिर 31 मई तक बढ़ा दिया गया, और हरे एवं नारंगी जोन में पड़ने वाले जिलों को काफी छूटें दी गईं। ये ऐसे जोन थे जहां कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या काफी कम थी। सभी रेड जोन एवं कोरोना के हॉटस्पॉट में कड़ाई से लॉकडाउन जारी रहा। 

जून में हुआ देश अनलॉक
गृह मंत्रालय ने एक जून से चरणबद्ध तरीके से गतिविधियों एवं प्रतिष्ठानों को फिर से खुलने की अनुमति दी जिसे ‘अनलॉक-1' नाम दिया गया। केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से ‘अनलॉक-2' की घोषणा की। अनलॉक का तीसरा चरण एक अगस्त से शुरू हुआ। केंद्र सरकार ने 7 सितंबर से मेट्रो सेवाओं को भी अनुमति दे दी और 21 सितंबर से 100 लोगों के एक साथ इकट्ठा होने को भी मंजूरी मिल गई। छह महीने तक बंद रहने के बाद सितंबर में निरूद्ध क्षेत्रों के बाहर स्थित स्कूलों को आंशिक रूप से खोलने की अनुमति दे दी गई ताकि नौवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्र स्वेच्छा से अपने स्कूल जा सकें। गृह मंत्रालय ने 30 सितंबर से निरूद्ध क्षेत्रों के बाहर और गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दी जिसमें सिनेमा हॉल, थियेटर और मल्टीप्लेक्स खोलना शामिल था और 15 अक्तूबर से उन्हें आधी सीट क्षमता के चलाने को मंजूरी दी गई। सरकार ने बिहार में 28 अक्तूबर से शुरू होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए राजनीतिक सभाओं को भी अनुमति दे दी जहां अधिकतम 200 लोग बंद स्थान या हॉल में और खुले में आकार के आधार पर लोगों की उपस्थिति को मंजूरी दी गई। 

वैक्सीनेशन से बढ़ी उम्मीदें
अब टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू होने पर गृह मंत्रालय ने 26 फरवरी 2021 को नया परामर्श जारी कर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि वायरस के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ने और महामारी पर लगाम कसने के लिए लक्षित आबादी के टीकाकरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।

Seema Sharma

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