आर्टिकल 370 से आज़ाद कश्मीर, दुविधा में पाकिस्तान और चीन

Monday, Aug 05, 2019 - 08:49 PM (IST)

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा) : भारत  सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 A हटाए जाने के बाद देश के भीतर ही नहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद बौखलाए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जियो टीवी के साथ बातचीत के दौरान कहा कि भारत का यह फैसला गलत है और पाकिस्तान इस मुद्दे को इस्लामिक सहयोग संगठन में जोर-शोर से उठाएगा। 

उन्होंने कहा कि वह भारत के कश्मीर पर इस जुल्म को कतई सहन करेंगे और जल्द ही कोई एक्शन लेंगे। पाकिस्तान में मांग उठने लगी है की वहां की सरकार जल्द से जल्द इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाए। लेकिन हाफ़िज़ सईद और मसूद अज़हर पर अंतर्राष्टीय मंचों में हुई किरकिरी के बाद पाकिस्तान भारत के इस कदम से भड़क गया है।   अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 A के हटने से पाकिस्तान क्यों बौखला गया है पहले वह समझते हैं। 

पाकिस्तान की बढ़ेगी मुश्किलें 
पाकिस्तानी जिहादी और कश्मीरी अलगाववादियों का पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनेगा। सीमा पार आतंकियों के घुसपैठ को बढ़ाने की मांग उठेगी। पाकिस्तान दुनिया को दिखा रहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठा रहा है। पाकिस्तान चाह कर भी जिहादियों का साथ नहीं दे पाएगा। 

वहीँ चीन का भारत के इस कदम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत के इस कदम  पर चीन को  समझ नहीं आ रहा कि वह किस तरह की प्रतिक्रिया दे। वैसे भारत को लेकर चीन आक्रामक रुख किसी से छुपा नहीं हुआ है। उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिक समय समय पर घुसपैठ करते रहते हैं। पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में चीनी सैनिकों की उपस्थिति किसी से छुपी नहीं है। भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 A हटाए जाने के बाद चीन और भी आक्रामक हो सकता है। 

कश्मीर में बढ़ता चीन का दखल 
कश्मीर के नागरिकों को चीन स्टैपल्ड वीज़ा देता है। इसका मतलब कश्मीरियों के चीन दौरे का कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं होता जो सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए खतरनाक है। 2010 में भारत और चीन के बीच आधिकारिक सीमा (लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल) को चीन ने 4000 किलोमीटर से घटाकर 2000 किलोमीटर कर दिया था। बाकी के 2000 किलोमीटर को उसने पाकिस्तान का हिस्सा घोषित कर दिया था। 
पाकिस्तान की कोशिश है कि कश्मीर को लेकर चीन मध्यस्थता करे। 

2009 में कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने घोषणा की कश्मीर मुद्दे में चीन भी हिस्सेदार है। अन्य अलगाववादी नेता अब्दुल गनी बट भी मीरवाइज़ का समर्थन करते हैं। 
2009 के बाद से चीन के पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान (पूर्व में उत्तरी क्षेत्रों) में 17 वीं परियोजनाएं शुरू कर चुका है। इन परियोजनाओं की मदद से चीनी सेना भी पीओके में दाखिल हो चुकी है। 
चीन के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) लॉन्च होने से पहले ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में चीन ने 11-12 बिलियन डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश किया था। 
चीन पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्ट में चीन ने 62 बिलियन डॉलर निवेश किए हैं। 
2 अगस्त को भारत और पाकिस्तान के बीच हुई भारी गोलीबारी के चलते चीन ने अपने पचास नागरिकों को पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर से हटाकर कहीं और भेज दिया है। अगर दोनों देशों के बीच हो रही गोलीबारी में कहीं चीन का कोई नागरिक या सैनिक हताहत होता है तो वह आत्मरक्षा की आड़ लेकर भारत के ऊपर जवाबी कार्रवाई भी कर सकता है। 

shukdev

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