ऑफ द रिकॉर्डः  मुफ्त खाने का वायदा 8 करोड़ से, मई-जून में दिया 2 करोड़ लोगों को

Saturday, Jul 04, 2020 - 05:39 AM (IST)

नई दिल्लीः कोरोना लॉकडाऊन के दौरान 8 करोड़ प्रवासी श्रमिकों का पेट भरने के लिए केंद्र सरकार ने हर महीने पांच किलो राशन मुफ्त देने हेतु आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया है, लेकिन मई महीने में मुफ्त राशन केवल 1.20 करोड़ लोगों तक पहुंचा, जबकि जून में योजना के लाभार्भियों की संख्या घटकर महज 89.88 लाख रह गई।

सरकार ने 8 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की व्यवस्था की थी, लेकिन राज्यों ने इसमें से केवल 6.39 लाख मीट्रिक टन अनाज ही उठाया। इसमें से मई और जून के दौरान 99,207 मीट्रिक टन अनाज लोगों को दिया गया। ऐसे 1.96 करोड़ परिवारों में से प्रत्येक को मई और जून में एक-एक किलो दाल भी दी जानी थी। इसके लिए सरकार ने 39,000 मीट्रिक टन दाल की भी व्यवस्था की थी। राज्यों ने इसमें से केवल 31,868 मीट्रिक टन दाल उठाई, लेकिन लोगों को अभी तक 4,702 मीट्रिक टन दाल ही मिली है। 

केंद्र सरकार का दावा है कि अनाज के लिए 3109 करोड़ और दाल के लिए 280 करोड़ रुपए का पूरा खर्च वह खुद उठाएगी। भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के 28 जून के आंकड़ों के अनुसार निगम के पास 816.60 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न मौजूद है। इसमें से 266.29 लाख मीट्रिक टन चावल और 550.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं का भंडार है। यह चालू फसल सीजन की खरीद के अतिरिक्त है।

अगले एक महीने में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए लगभग 55 लाख मीट्रिक टन अनाज की जरूरत पडऩे का अनुमान है, मगर खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान अभी भी दावा कर रहे हैं कि 8 करोड़ श्रमिकों के लिए सभी राज्यों ने मई-जून में मुफ्त वितरण के लिए अपने कोटे का अनाज और चना उठा लिया है तथा वितरण भी जारी है। 

दरअसल, योजना के तहत सरकार ने ऐसे प्रवासी श्रमिकों के लिए मई और जून में प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज देने का फैसला किया था, जो खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में नहीं आते हैं। सरकार की ओर से कहा गया था कि इसमें 8 करोड़ लोगों को बिना राशन कार्ड के ही यह अनाज दिया जाएगा, यानी वायदा 8 करोड़ का और दो महीनों में दिया 2 करोड़ को।

Pardeep

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