धोखाधड़ी के आरोप में रेनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मालविन्द्र और शिविन्द्र गिरफ्तार

Friday, Oct 11, 2019 - 02:09 PM (IST)

नई दिल्ली: 740 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी मामले में दिल्ली पुलिस की आॢथक अपराध शाखा ने वीरवार को विश्व की नामचीन कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मालविन्द्र और शिविन्द्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा व अनिल सक्सेना को भी गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आर.एफ. एल.) की शिकायत पर की है।  रेलीगेयर ने आरोप लगाया है कि कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारियों ने कंपनी के पैसे का अन्य कार्यों में इस्तेमाल किया है। इसके साथ ही इन पर पैसे गबन का आरोप है।  रेलीगेयर ने शिकायत में आरोप लगाया है कि सिंह ने कंपनी का निदेशक रहते हुए कर्ज लिया था, लेकिन कर्ज ली गई राशि का अन्य कंपनियों में निवेश कर दिया था। 

 

 

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आर.एफ.एल. में प्रबंधन बदला। नए प्रबंधन ने जब कार्यभार संभाला तो उसने पाया कि एक बार कर्ज लिया गया और उस राशि का सिंह और उसके भाई से जुड़ी अन्य कंपनियों में निवेश कर दिया गया। प्रबंधन ने आॢथक अपराध शाखा में शिकायत की जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। शिवेन्द्र का भाई मालविन्द्र फरार है और उसके खिलाफ लुक-आऊट नोटिस जारी किया गया है। पैसे की हेराफेरी करने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय रैनबैक्सी के पूर्व सी.ई.ओ. मलविन्द्र सिंह और शिवेन्द्र मोहन सिंह के ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी है। ई.डी. अधिकारियों के मुताबिक इन पर मनी लांङ्क्षड्रग कानून के तहत मामला दर्ज है। दोनों भाइयों के खिलाफ  यह कार्रवाई कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में की गई है।

 

सिंगापुर की कंपनी को करना है 3500 करोड़ का भुगतान

सिंगापुर की एक कंपनी को 3500 करोड़ रुपए का भुगतान करना है जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी इन्हें पैसे का भुगतान करने के निर्देश जारी कर चुका है। कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा कि यह देश से जुड़ा मामला है, किसी व्यक्ति विशेष की प्रतिष्ठा से जुड़ा नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि आप कभी फार्मा इंडस्ट्री की पहचान थे और यह ठीक नहीं लगता कि आप अदालत में आएं।


गौरतलब है कि बीते अगस्त में प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन रोधी कानून से जुड़े एक मामले में रैनबैक्सी समूह के पूर्व प्रवर्तकों मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह के परिसरों पर छापेमारी की थी। अधिकारियों ने कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज होने के बाद यह छापे मारे गए थे। एजेंसी की इस कार्रवाई को सिंह बंधुओं के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों और उसके बाद उनके कारोबार के पतन से जोड़कर देखा जा रहा है।

shukdev

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