RTI में खुलासा, 9 देश कर चुके हैं भारतीय EVMs के लिए चुनाव आयोग से संपर्क

Thursday, Sep 20, 2018 - 07:12 PM (IST)

नेशनल डेस्कः इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से छेड़छाड़ के आरोप विपक्षी दलों ने कई मौकों पर लगाए हैं। इसी मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी पर भी निशाना साधा जाता रहा है। वहीं, एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि बीते कुछ वर्षों में कम से कम 9 देशों ने भारतीय चुनाव आयोग से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के लिए संपर्क किया है।



पहली बार 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम के दुरुपयोग को लेकर बड़े पैमाने पर आरोप लगाया गया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन से हारने के बाद बीजेपी ने ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। उस चुनाव के बाद से ही देश में यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है। जो पार्टी चुनाव में हारती है, वह ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है। चाहे वो 2014 के आम चुनाव हों या राज्य के विधानसभा चुनाव। यहां तक कि उपचुनावों में भी कई दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं और अब तो यह सब जगह देखने को मिलता है।



2009 चुनाव के ईवीएम विवाद के बाद पड़ोसी देश नेपाल ने 2012 में ईवीएम की आपूर्ति की मांग की थी। 2014 में नाइजीरिया और 2016 में इंडोनेशिया ने भारतीय चुनाव आयोग से आग्रह किया। 2017 में चार देशों ने EVMs के लिए चुनाव आयोग से संपर्क किया। ये देश हैं रूस, भूटान, बोतस्वाना और पापुआ न्यू गिनी। 2018 में अफगानिस्तान और नामीबिया ने EVMs की आपूर्ति के लिए आग्रह किया है। इन सभी देशों ने EVMs के कथित तौर पर दुरुपयोग से जुड़े विवादों की जगह उसकी विश्वसनीयता को तरजीह देना बेहतर समझा।



चुनाव आयोग की ओर से मिले RTI  के जवाब में बताया गया है कि भारत ने सिर्फ दो देशों को तीन अवसरों पर EVMs की आपूर्ति की है। चुनाव आयोग के जवाब में संदर्भ का हवाला नहीं दिया है। नामीबिया को 2012 और 2015 में EVMs की आपूर्ति की गई। भूटान को भी 2017 में भारत से EVMs मिलीं। बाकी मामलों में चुनाव आयोग ने या तो EVMs/VVPATs की आपूर्ति का आग्रह खारिज कर दिया या उनकी आपूर्ति को स्थगित कर दिया। स्थगन का यह फैसला भारत में चुनावों के लिए EVMs की मौजूदा जरूरतों को देखते हुए लिया गया है।



आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि किसी भी देश ने भारत से VVPATs वाली EVMs को नहीं खरीदा है। आरटीआई में चुनाव आयोग से ये भी पूछा गया था कि EVMs के इस्तेमाल को लेकर दूसरे देशों की क्या प्रतिक्रिया रही और क्या कुछ देशों ने इस्तेमाल के बाद इन्हें खारिज भी किया। इस सवाल के जवाब में चुनाव आयोग ने यही कहा कि ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

 

Yaspal

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