काशी नगरी पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर, बाबा विश्वनाथ के आगे हुए नतमस्तक

Saturday, Dec 10, 2022 - 10:27 PM (IST)

नेशनल डेस्कः विदेश मंत्री एस जयशंकर शनिवार को उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक राजधानी बनारस पहुंचे। यहां काशी में उन्होंने बाबा विश्वनाथ के मंदिर में माथा टेका और पूजा अर्चना की। इसके बाद जयशंकर शाम को गंगा आरती में भी शामिल हुए। विदेश मंत्री बनने के बाद जयशंकर पहली बार काशी दौरे पर पहुंचे हं। उन्होंने यहां अगले साल होने वाले G20 समिट के कार्यक्रम के बारे में भी चर्चा की।

जयशंकर ने शनिवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, "काशी जी20 बैठकों के लिए महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। और विकास मंत्रियों की बैठक, जिसकी मैं अध्यक्षता करूंगा, यहां आयोजित की जाएगी।" " उन्होंने कहा, "इसलिए आप मुझे वाराणसी की सड़कों पर देख पाएंगे।" विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजा की। जयशंकर ने गंगा आरती में भाग लिया और पूजा की।

जयशंकर ने आगे कहा कि भारत क्षेत्रीय रूप से अधिक प्रभावी हो गया है। विदेश मंत्री ने कहा कि पहले दुनिया भारत और पाकिस्तान को समान दृष्टि से देखती थी लेकिन अब नहीं, यहां तक कि पाकिस्तान को भी नहीं। जयशंकर ने आगे कहा कि संस्थानों, विचारों और अभियानों का पूरा सेट भारत से निकल रहा है। "जब दुनिया भारत के उत्थान को देखती है, तो उनके लिए प्रवासी भारतीयों का योगदान और सफलताएँ भारत के उत्थान की कहानी का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए हमारी भी एक जिम्मेदारी है। यदि इतने सारे भारतीय विदेश में रहते हैं, तो यह हमारा कर्तव्य है कि हम इसकी (प्रवासी) देखभाल करें।" 

इससे पहले जयशंकर ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एम्फीथिएटर में काशी तमिल संगमम प्रदर्शनी का निरीक्षण किया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नबंवर को वाराणसी में काशी तमिल संगमम का उद्घाटन करते हुए काशी और तमिलनाडु के बीच ज्ञान के पारंपरिक बंधन और प्राचीन सभ्यतागत संबंधों को याद किया।

पीएम मोदी ने कहा था, "एक तरफ काशी हमारी सांस्कृतिक राजधानी है, जो पूरे भारत को कवर करती है। दूसरी तरफ तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है, जो भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र है।" पीएम मोदी ने काशी-तमिल संगम के दौरान देश में 'संगमों' के प्रभाव पर जोर देते हुए कहा, 'संगमों को हमारे देश में बहुत महिमा और महत्व दिया गया है. नदियों के संगम से लेकर विचार-विचारधारा, ज्ञान-विज्ञान और समाज- संस्कृतियों, हमने हर संगम को मनाया है।"

Yaspal

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