अपने बचाव में मजबूती से खड़े हैं टर्नबुल

Saturday, May 14, 2016 - 01:17 PM (IST)

पनामा पेपर्स घोटाले में कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों का नाम आने के बाद अब ऑस्ट्रलिया के प्रधानमंत्री भी इसकी चपेट में हैं। उनका नाम ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की कंपनी के पूर्व निदेशक के रूप में आया है। इस पर मेल्कम टर्नबुल सफाई देते हैं कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।

अमरीका की एक एनजीओ ओर पत्रकारों के अंतर्राष्ट्रीय महासंघ ने पनामा पेपर्स के नाम से लीक दस्तावेजों में फिल्म, खेल, राजनीति और कई बड़ी औद्योगिक हस्तियों के नाम उजागर हुए हैं। इन दस्तावेजों से इन सभी की छिपी हुई अथाह दौलत का पता चला है। दस्तावेजों के माध्यम से बड़ी हस्तियों के विदेशी खातों में लेन—देन का खुलासा हुआ है। इन खातों से गैर कानूनी तरीके से टैक्स बचाने का काम किेया जा रहा था। आइसलैंड, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, यूक्रेन के राष्ट्रपति, साऊदी अरब के राजा, इंग्लैंड के प्रधानमंऋी के पिता और आॅस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का नाम भी इन हस्तियों में शामिल हैं। इंग्लैंड के प्रधानम़ंत्री ने कुछ बातों को कबूल लिया है और आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। बाकी बची हस्तियों ने अपने—अपने स्तर पर सफाई दे रही है। 

गौरतलब है कि 1993 में टर्नबुल और न्यू साउथ वेल्स के प्रीमियर नेवली व्रेन ने ऑस्ट्रेलिया की लिस्टिड कंपनी स्टार माइनिंग एनएल के बोर्ड में शामिल हुए थे। टर्नबुल और नेवली व्रेन को स्टार माइनिंग की सब्सिडरी कम्पनी टेक्नोलोजी सर्विसिज का डायरेक्टर बना दिया गया। ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड स्थित यह कम्पनी पनामा की लॉ फर्म मोसेक फोंसेका से जुड़ी हुई थी। इंवेस्टमेंट बैंकर और टेक्नोलॉजी आंत्रप्रेन्योर रहे प्रधानमंत्री टर्नबुल 2 जुलाई को होने वाले आम चुनाव के लिए कैम्पेन कर रहे हैं। 

इस बारे मे उनका कहना है इसमें कुछ नया नहीं है। वह और नेवली व्रेन जिस कम्पनी के डायरेक्टर्स थे वह ऑस्ट्रलिया की सूचीबद्ध कम्पनी थी। अगर इस कंपनी ने कोई मुनाफा कमाया होता तो उसने ऑस्ट्रेलिया में करों का भी भुगतान किया ही होता। कंपनी पंजीयन से जुड़ा एक दस्तावेज दर्शाता है कि दोनों ने स्टार टेक्नोलॉजी के निदेशक पद से सितंबर 1995 में इस्तीफा दे दिया था।

आॅस्ट्रेलिया के अखबार द सिडनी मॉन्रिंग हेराल्ड के अनुसार पनामा पेपर्स में अपना नाम आने के बाद प्रधानमंत्री मेल्कम टर्नबुल ने कुछ कहने से इंकार कर दिया है। वे इतना जरूर बताते हैं कि जिस कंपनी में वे दोनों थे उसने किसी प्रकार का मुनाफा नहीं कमाया। लगता है कि किसी ने कंपनी के खातों की जांच नहीं की है। बेवजह इतना शोर मचाया जा रहा है। आॅस्ट्रेलिया के कैबिनेट सचिव आर्थर सिनोडीयंस ने इस मामले में आर्थिक समीक्षा को दोषी ठहराया है। उन्होंने इसे मरे हुए घोड़े को पीटने के समान बताया है। टर्नबुल पर एक और आरोप भी लगाया गया है कि उनकी स्टार टेक्नोलोजीस कंपनी ने रूस के नेताओं को दानराशि मुहैया कराई थी। इस पर प्रधानमंत्री के प्रवक्ता ने साफ नकार दिया कि टर्नबुल जब कंपनी के निदेशक थे उस समय और उसके बाद उन्हें ऐसे किसी मामले की जानकारी थी।

टर्नबुल की पृष्ठभूमि में जाएं तो वर्ष 1980 से 1990 तक शेयरमार्किट से जुड़ने के बाद टर्नबुल रेत के काराबार मे आ गए और वहां कुछ समय बिता कर वह माइनिंग प्रोमोटर बन गए। ऐसा बताया जाता है कि इसे छोड़ने से पहले टर्नबुल और उनके साथियों को कुल 5 मिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ था।

बताया जाता है कि स्टार टेक्नोलॉजी ने साइबेरिया मे सुखोई लॉग गोल्ड डिपोजिस्ट को अपना लक्ष्य बनाया। रूस की सरकार इसकी नीलामी बात कह रही थी। सुखोई लॉग को रूसी सरकार द्वारा सामरिक संसाधन के रूप में लिया जा रहा था। इसका अभिप्राय था कि सरकार का इसमें अत्यधिक हस्तक्षेप था और वह परियोजना की लागत से कहीं अधिक रॉयल्टी मांग रही थी। जनवरी 2016 में रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर ख्लोपोनिन इसकी एक और नीलामी की बात कह रहे थे। रूस अपनी खनन संबंधी सारी कंपनियों को नियंत्रित करना चाहता था। टर्नबुल की स्टार माइनिंग अच्छे परिणाम पेश नहीं कर पाई थी। वर्ष 2002 में इस कंपनी ने दक्षिण आॅस्ट्रेलिया में ही किराये पर कुछ जगह लेने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। वहां कुछ संपत्तियों को भी खरीदने का इसने मन बनाया, ताकि अपना संघर्ष जारी रख सके।

रूस में विदेशी खननकर्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी होना आम बात थी। खासतौर पर पूर्व के दूरस्थ निर्जन इलाकों में। इनमें आॅस्ट्रेलिया के लोगों की कामयाबी की कहानी मुश्किल से ही मिलती है। टर्नबंल अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं थे जिन्होंने रूस में अपने परिश्रम से दौलत कमाई हो। कंपनी से इस्तीफा देने के करीब 21 सालों के बाद उनका नाम आया है। इस लंबी अ​वधि में उनका कंपनी से जुड़ाव न होना रक्षात्मक कदम के रूप में पेश किया जा सकता है। 

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