अलविदा प्रणब दा: राजकीय सम्मान के साथ पूर्व राष्ट्रपति को दी अंतिम विदाई

Tuesday, Sep 01, 2020 - 04:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  राजकीय सम्मान के साथ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार किया गया। लोधी श्मशान घाट के मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी और परिवार के बाकी सदस्यों ने पीपीई किट पहनकर उन्हे अंतिम विदाई दी। वहीं इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने मुखर्जी के अंतिम दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुखर्जी का सोमवार की शाम सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। उन्हें गत 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उनके मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी।

 

अस्पताल से पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को आज उनके सरकारी निवास 10, राजाजी मार्ग लाया गया, जहां गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, थल सेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया, नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह सहित अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और हर्ष वर्धन, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने भी दिवंगत नेता के दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुखर्जी का अंतिम संस्कार आज दोपहर दो बजे लोधी रोड श्मशान घाट में होगा।

केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर 31 अगस्त से छह सितंबर तक सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे। लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी सात बार सांसद भी रहे। भाजपा-नीत केंद्र सरकार ने साल 2019 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘‘भारत रत्न’’ से नवाजा था। 

पश्चिम बंगाल में जन्में इस राजनीतिज्ञ को चलता फिरता ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता था और हर कोई उनकी याददाश्त क्षमता, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का मुरीद था। मुखर्जी भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी आठ वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे। वे 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे।

vasudha

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