भारत के साथ हुई राफेल डील पर पहली बार बोले मैक्रों, तब मैं फ्रांस का राष्ट्रपति नहीं था

Wednesday, Sep 26, 2018 - 01:10 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्र: राफेल पर छिड़े घमासान की आंच फ्रांस भी पहुंच गई है। इस मामले पर फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि राफेल करार जब हुआ तब वे सत्ता में नहीं थे। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के इतर एक प्रेस कांफ्रेंस में मैक्रों से पूछा गया था कि क्या भारत सरकार ने किसी वक्त फ्रांस या फ्रांस की दिग्गज एयरोस्पेस कंपनी दसाल्ट से कहा था कि उन्हें राफेल करार के लिए भारतीय साझेदार के तौर पर रिलायंस को चुनना है। इस पर मैक्रों ने कहा कि यह सौदा ‘सरकार से सरकार’ के बीच तय हुआ था और भारत एवं फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों को लेकर जब अरबों डॉलर का यह करार हुआ, उस वक्त वे सत्ता में नहीं थे।

भारत ने सितंबर, 2017 में करीब 58,000 करोड़ रुपए की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौते पर साइन किए थे। भारत को राफेल अगले साल सितंबर तक मिल जाएंगे। इस डील से करीब डेढ़ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पेरिस यात्रा के दौरान इस प्रस्ताव की घोषणा की थी। मैक्रों ने राफेल पर उठे विवाद पर कहा कि मैं उस वक्त पद पर नहीं था और मैं जानता हूं कि हमारे नियम बहुत स्पष्ट हैं, इससे ज्यादा मुझे और कोई टिप्पणी नहीं करनी है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि राफेल करार में भारतीय कंपनी का चयन नई दिल्ली के इशारे पर किया गया था। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत ढंग से पेश किया गया। बता दें कि विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार ने रिलायंस डिफेंस को साझेदार चुनकर अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चोर तक कह दिया और राफेल को बड़ा घोटाला बताया था।

Seema Sharma

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