जानें कौन हैं, 1971 की लड़ाई में दुश्मनों को धूल चटाने वाले मानेकशॉ?(Pics)

Monday, Apr 03, 2017 - 03:01 PM (IST)

नई दिल्ली: सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ भारतीय सेना के अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त की थी, जिसके परिणामस्वरूप बंगलादेश का जन्म हुआ। सैम यानी जनरल मानेकशा का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के छात्र थे। सन् 1939 में उनका विवाह सिल्लो बोर्ड से हो गया था। 1969 को उन्हें सेनाध्यक्ष बनाया गया तथा 1973 में फील्ड मार्शल से सम्मानित किया गया। 27 जून 200 को वह इस दुनिया को अलविदा कह गए।

मानेकशॉ के बारे में कुछ दिलचस्प बातें:-

1) मानेकशॉ अपने निजी जीवन में बेहद हंसमुख थे। उनकी बेटी माया दारूवाला के मुताबिक, लोग सोचते थे कि सैम बहुत बड़े जनरल हैं, उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ी हैं, उनकी बड़ी-बड़ी मूंछें हैं तो घर में भी उतना ही रौब जमाते होंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। वह हमारे साथ शरारत करते थे। कई बार तो हमें कहना पड़ता था कि डैड स्टॉप इट। लड़ाई के मैदान में भी 7 गोलियां लगने के बाद जब जनरल मानेकशॉ मिलिट्री अस्पताल पहुंचाए गए, तब डॉक्टर ने उनसे पूछा कि क्या हुआ है। मानेकशॉ का कहना था कि अरे कुछ नहीं, एक गधे ने लात मार दी।

2) 1971 के भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के बीच में ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दिमाग में ये बात बैठ गई थी कि मानेकशॉ आर्मी की मदद से तख्तापलट की कोशिश करने वाले हैं। इस पर मानेकशॉ ने सीधे जाकर इंदिरा गांधी से कह दिया किक्या आपको नहीं लगता कि मैं आपकी जगह पर आने के लायक नहीं हूं, मैडम? आपकी नाक लंबी है। मेरी नाक भी लंबी है, लेकिन मैं दूसरों के मामलों में नाक नहीं घुसाता हूं।

3) 1962 में जब मिजोरम की एक बटालियन ने भारत-चाइना की लड़ाई से दूर रहने की कोशिश की तो मानेकशॉ ने उस बटालियन को पार्सल में चूड़ी के डिब्बे के साथ एक नोट भेजा, जिस पर लिखा था कि अगर लड़ाई से पीछे हट रहे हो तो अपने आदमियों को ये पहनने को बोल दो। फिर उस बटालियन ने लड़ाई में हिस्सा लिया और काफी अच्छा काम कर दिखाया। 

4) 1971 की लड़ाई के बाद उनसे पूछा गया था कि अगर बंटवारे के समय वह पाकिस्तान चले गए होते तो क्या होता? इस पर मानेकशॉ हंसते हुए बोले, होता क्या पाकिस्तान 71 की लड़ाई जीत जाता। 

5) मानेकशॉ को अच्छे कपड़े पहनने का शौक था। अगर उन्हें कोई निमंत्रण मिलता था जिसमें लिखा हो कि अनौपचारिक कपड़ों में आना है तो वह निमंत्रण अस्वीकार कर देते थे।

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