Gorakhpur: परीक्षा में बेटे को मिला सिर्फ 1 अंक, प्रोफेसर्स से कारण पूछने पहुंचे पिता की सदमे से हुई मौत
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 05:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कुछ घटनाएं सिर्फ खबर नहीं होतीं, बल्कि इंसान के भीतर तक झकझोर देती हैं। ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के मड़कड़ा मिश्र गांव से सामने आई है, जहां एक छात्र को इंटरनल एग्जाम में एक अंक मिलने के सदमे में उसके पिता की मौत हो गई। यह मामला न सिर्फ एक परिवार के लिए गहरा आघात है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की संवेदनहीनता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।
मेहनत पर फिरा पानी
आयुष मिश्रा, देवरिया जनपद के भलुअनी थाना क्षेत्र के मड़कड़ा मिश्र गांव निवासी हैं और दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से एमएससी गणित (चौथे सेमेस्टर) के छात्र हैं। पहले तीन सेमेस्टर में उन्होंने क्रमशः 78%, 80% और 85% अंक प्राप्त किए थे। चौथे सेमेस्टर की क्लासिकल मैकेनिक्स की परीक्षा में 75 में से 34 अंक लाने के बावजूद उन्हें इंटरनल एग्जाम (25 अंकों में) में मात्र 1 अंक दिया गया, जिससे वह फेल हो गए।
परिवार का आरोप है कि जानबूझकर एक महिला प्रोफेसर ने आयुष को कम अंक दिए। विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार इंटरनल में 5 अंक अटेंडेंस के होते हैं, जिसमें न्यूनतम 3 अंक मिलते हैं। सेमेस्टर के दौरान तीन टेस्ट होते हैं, जिनमें से दो के आधार पर औसत अंक दिए जाते हैं। इसके बावजूद आयुष को सिर्फ 1 अंक दिया गया, जिससे उनकी मेहनत पर पानी फिर गया।
पिता का संघर्ष
आयुष के पिता मुरलीधर मिश्रा अपने बेटे के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित थे। 17 जुलाई को उन्होंने विभागाध्यक्ष को आवेदन दिया। 27 अगस्त को रिश्तेदारों ने कुलपति से मुलाकात की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद विधान परिषद सदस्य (MLC) देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी कुलपति को पत्र लिखा।
1 सितंबर को आयुष अपने पिता के साथ फिर विश्वविद्यालय पहुंचे। मुरलीधर मिश्रा बस यह जानना चाहते थे कि उनके बेटे को इंटरनल में केवल 1 अंक क्यों मिला। जब उन्हें बताया गया कि कुछ नहीं किया जा सकता, तो वह इतना सुनकर कुर्सी पर बैठते ही बेहोश हो गए। छात्रों की मदद से उन्हें तुरंत एम्बुलेंस से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिवार का आरोप है कि बिना पोस्टमार्टम के ही शव सौंप दिया गया।
परिवार ने की जांच की मांग
पीड़ित परिवार के बड़े भाई गोपाल मिश्रा ने कहा कि वे अंतिम संस्कार के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन से मिलकर तीन प्रोफेसरों की भूमिका की जांच की मांग करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे प्रकरण में जानबूझकर अन्याय किया गया और आयुष की मेहनत को नजरअंदाज किया गया।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर यह घटना गुस्से और दुख के साथ साझा की जा रही है। लोग पूछ रहे हैं एक मेहनती छात्र को इस तरह क्यों फेल किया गया? क्यों नहीं उसकी सुनवाई हुई? क्या एक अंक से किसी छात्र का भविष्य बर्बाद करना न्याय है? जब इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. कुलदीप सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।