farmers protest-सरकार से वार्ता कब?, किसान आज बैठक में लेंगे फैसला...आगे की रणनीति पर भी चर्चा
Tuesday, Dec 22, 2020 - 10:57 AM (IST)
नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन 27वें दिन में पहुंच गया है। वहीं क्रांतिकारी किसान यूनियन के गुरमीत सिंह ने कहा कि किसान नेताओं के अगले कदम के लिए मंगलवार को बैठक करने की संभावना है। किसान संगठन बिहार जैसे दूसरे राज्यों के किसानों से भी समर्थन लेने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्ष की ओर से भी दबाव बढ़ गया है, वहीं शिरोमणि अकाली दल ने तीनों नए कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का तुरंत सत्र बुलाने की मांग की। केंद्र द्वारा भेजे गए पत्र को लेकर किसानों ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है।
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो। किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद 9 दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था। किसान नेता अभिमन्यु कोहार ने कहा कि उनके पत्र में कुछ भी नया नहीं है। नए कृषि कानूनों को संशोधित करने का सरकार का प्रस्ताव हम पहले ही खारिज कर चुके हैं। अपने पत्र में सरकार ने प्रस्ताव पर हमें चर्चा करने और वार्ता के अगले चरण की तारीख बताने को कहा है। उन्होंने कहा कि क्या उन्हें हमारी मांगें पता नहीं हैं? हम बस इतना चाहते हैं कि नए कृषि कानून वापस लिए जाएं।
जिद्द पर अड़े किसान
वहीं सोमवार को किसान एक दिन की भूख हड़ताल पर थे। वहीं सोमवार को एक किसान ने खुदकुशी की कोशिश की। किसान अपने साथ सुसाइड नोट लिखकर भी लाया था। उसने बॉर्डर पर जहर खाने की कोशिश की। बता दें कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों किसान कड़ाके की सर्दी में पिछले लगभग चार सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस मुद्दे पर (सरकार के प्रस्ताव), हमने उनके साथ पहले बातचीत नहीं की थी।
भाकियू (लोकशक्ति) के प्रवक्ता शैलेष कुमार गिरि ने कहा कि तीनों कानूनों को वापस लिए जाने तक हम पीछे नहीं हटेंगे। एक नया कानून होना चाहिए जिसमें MSP से कम मूल्य पर फसल खरीदने वालों के खिलाफ कानूनी कदम का उल्लेख होना चाहिए। दूसरी तरफ केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, जबकि प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।