आंदोलन के 100वें दिन पर किसानों ने मनाया काला दिवस, केएमपी एक्सप्रेसवे किया जाम

Saturday, Mar 06, 2021 - 05:07 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को शनिवार को 100 दिन पूरे होने पर आंदोलनकारी किसान संगठन इस दिन (छह मार्च) को ‘काला दिवस' के रूप में मना रहा है। इस बीच आंदोलनकारी किसानों ने आज पांच घंटों के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध किया।  एक्सप्रेसवे आज 11 बजे से लेकर शाम 4  बजे तक अवरुद्ध रहेगा। किसान नेता कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं जबकि सरकार इस मांग को पूरी करने के लिए तैयार नहीं है।

 किसानों से किया विरोध दर्ज करवाने का अनुरोध 
संयुक्त किसान मोर्चा (एसएमपी) ने किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर छह मार्च (शनिवार) को ‘काला दिवस' के रूप में मनाने और कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे को पांच घंटों के लिए अवरुद्ध करने की शुक्रवार को घोषणा कर दी थी। किसान संगठनों और सरकार के बीच ग्यारह दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है लेकिन दोनों के बीच अभी तक सहमति नहीं बनी है।  संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारियों से आह्वान किया है कि 100 दिन पूरे होने पर काली पट्टी बांध अपना विरोध दर्ज कराएं। किसानों की तरफ से ये भी कहा जा रहा है कि जिन बॉर्डर्स से जो टोल प्लाजा नजदीक होगा उसे भी ब्लॉक कर दिया जाएगा। किसानों का कहना है कि इस लंबे आंदोलन ने एकता का संदेश दिया है और “एक बार फिर किसानों को सामने लेकर आया” है और देश के सियासी परिदृश्य में उनकी वापसी हुई है। 


हम यहां से नहीं हटेंगे: टिकैत 
बीते करीब तीन महीनों से दिल्ली की तीन सीमाओं सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान डटे हुए हैं। इन किसानों में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शामिल हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक जरूरत होगी वे प्रदर्शन जारी रखने के लिये तैयार हैं। इस आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे किसान नेताओं में से एक टिकैत ने कहा कि हम पूरी तरह तैयार हैं। जब तक सरकार हमें सुनती नहीं, हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, हम यहां से नहीं हटेंगे।

किसानें ने किया पीछे हटने से इनकार
सरकार और किसान संघों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद दोनों पक्ष किसी समझौते पर अब तक नहीं पहुंच पाए हैं और किसानों ने तीनों कानूनों के निरस्त होने तक पीछे हटने से इनकार किया है। सितंबर में बने इन तीनों कृषि कानूनों को केंद्र कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रहा है जिससे बिचौलिये खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे। दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जाहिर की है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सुरक्षा और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी जिससे वे बड़े कॉरपोरेट की दया पर निर्भर हो जाएंगे। किसानों की चार में से दो मांगों- बिजली के दामों में बढ़ोतरी वापसी और पराली जलाने पर जुर्माना खत्म करने- पर जनवरी में सहमति बन गई थी लेकिन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर बात अब भी अटकी हुई है।

महिलाएं भी आंदोलन में हो रही शामिल 
 किसान नेताओं के मुताबिक100 दिन पूरा कर रहे इस आंदोलन ने तात्कालिक प्रदर्शन से कहीं ज्यादा अर्जित किया है। उनका कहना है कि इसने देश भर के किसानों में एकजुटता की भावना जगाई है और खेती में महिलाओं के योगदान को मान्यता दिलाई है।  आंदोलन में महिला किसान भी बड़ी संख्या में पहुंच रही हैं और आठ मार्च को अंतरराष्ट्री महिला दिवस पर इस आंदोलन में महिलाओं के योगदान के प्रतीक के तौर पर पुरुष प्रदर्शन स्थलों की कमान व प्रबंधन महिलाओं के हाथों में सौंपेंगे। 

vasudha

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