नहीं रहे बॉलीवुड के मशहूर एक्टर असरानी, 84 की उम्र में ली आखिरी सांस

punjabkesari.in Tuesday, Oct 21, 2025 - 10:35 AM (IST)

नेशनल डेस्क: हिन्दी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता और निर्देशक गोवर्धन असरानी का सोमवार दोपहर (20 नवंबर) को मुंबई के जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। उनके अंतिम संस्कार का आयोजन शांतिपूर्वक शाम को सांताक्रुज स्थित शास्त्री नगर श्मशानभूमि में परिवार और करीबी लोगों की मौजूदगी में किया गया। उनके मैनेजर बाबुभाई थीबा ने बताया कि असरानी का स्वास्थ्य पिछले कुछ समय से कमजोर था और सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

असरानी के निधन की खबर को लेकर उनके परिवार ने पहले ही निर्णय लिया था कि इस पर कोई शोर या हलचल न मची। उन्होंने अपनी पत्नी मंजू असरानी से कहा था कि उनकी मृत्यु की सूचना सार्वजनिक न की जाए। इसी वजह से उनका अंतिम संस्कार बिना किसी औपचारिक घोषणा के चुपचाप संपन्न हुआ।

सैकड़ों फिल्मों में अनोखी छाप

गोवर्धन असरानी ने अपने लंबे करियर में 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और अपनी कॉमिक टाइमिंग तथा अद्वितीय अभिनय शैली से दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। ‘शोले’ में जेल वार्डन का किरदार, ‘चुपके चुपके’, ‘आ अब लौट चलें’, ‘हेरा फेरी’ जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को हर पीढ़ी ने सराहा। हिन्दी सिनेमा ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया है, जिसने हंसी और भावनाओं दोनों से दर्शकों का दिल जीतने में माहिर था।

पांच दशक का करियर और यादगार किरदार

असरानी मूल रूप से राजस्थान के जयपुर के रहने वाले थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई सेंट जेवियर्स स्कूल, जयपुर से पूरी की। उनके करियर का सफर लगभग पांच दशकों तक चला और उन्होंने हास्य अभिनेता और सहायक अभिनेता के रूप में कई यादगार भूमिकाएँ निभाईं। 1970 के दशक में वह अपने करियर के शिखर पर थे, इस दौरान उन्होंने ‘मेरे अपने’, ‘कोशिश’, ‘बावर्ची’, ‘परिचय’, ‘अभिमान’, ‘चुपके-चुपके’, ‘छोटी सी बात’, ‘रफू चक्कर’ जैसी फिल्मों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

शोले (1975) में जेल वार्डन का उनका किरदार आज भी दर्शकों की यादों में जीवित है। असरानी ने न केवल सिनेमा में बल्कि दर्शकों के दिलों में भी अपनी अमिट पहचान बनाई।


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News Editor

Parveen Kumar

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