परिजनों ने 16 साल की लड़की को जबरन 33 साल के व्यक्ति से ब्याहा, नाबालिग ने SC से मांगी सुरक्षा
punjabkesari.in Wednesday, Jun 18, 2025 - 05:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में आज एक नाबालिग की याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें उसने अपनी शादी रद्द करने और जान के खतरे से सुरक्षा मांगी है। दरअसल 16 साल की इस लड़की की इच्छा के विरूध्द जाकर घरवालों ने 32-33 साल के व्यक्ति से ब्याह कर दिया। लड़की अब पढ़ाई जारी रखना चाहती है। वह अपने ससुराल वालों और पति के खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई चाहती है। डिटेल में जानते हैं कि क्या है पूरा मामला-
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की बेंच इस नाबालिग लड़की की याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिका में लड़की ने अपने पति पर शादी के लिए दबाव डालने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ भी निर्देश देने की मांग की है। लड़की ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उसकी इच्छा के विरुद्ध 9 दिसंबर 2024 को उसकी शादी करा दी गई, उस समय वह सिर्फ साढ़े सोलह वर्ष की थी।
उसने दावा किया कि वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन उसके ससुर ने उसे कैद में रखा हुआ था। ससुर ने उसे उसके माता-पिता के पास वापिस भेजने का वादा किया था, लेकिन उसे रोका गया। याचिका में कहा गया है कि यह रिट याचिका एक सोलह वर्षीय नाबालिग याचिकाकर्ता ने अपने एक दोस्त के माध्यम से दायर की है। लड़की की इच्छा अपनी शिक्षा जारी रखने की थी, लेकिन जबरदस्ती उसका बाल विवाह करा दिया गया और इस विवाह को बनाए रखने का विरोध करने की वजह से उसकी जान को खतरा है।
जान का खतरा और भागने पर मजबूर
नाबालिग ने दावा किया कि वह फिलहाल अपने एक दोस्त के साथ भाग गई है और उसे डर है कि अगर वे बिहार लौटेंगे तो उन्हें मार दिया जाएगा। लड़की ने बताया कि उसके माता-पिता ने लगभग छह महीने पहले जबरदस्ती उसकी शादी 32 या 33 साल के एक व्यक्ति से करा दी थी। शादी के तुरंत बाद ही उसे विदा कर दिया गया था, जबकि उसकी दसवीं की बोर्ड परीक्षाएं नजदीक थीं।
याचिका में कहा गया है कि उसके ससुराल वालों ने दावा किया कि उन्होंने शादी के लिए बहुत पैसा दिया और खर्च किया और बार-बार उससे कहा कि वे एक बच्चा चाहते हैं।
शिक्षा का सपना और कानूनी लड़ाई
याचिकाकर्ता ने बताया कि उसका पति एक सिविल ठेकेदार है। पति ने दावा किया कि याचिकाकर्ता के माता-पिता उसके कर्जदार हैं और उसे शिक्षिका या वकील बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए आगे की पढ़ाई करने के बजाय विवाह जारी रखना होगा।
इसलिए, लड़की ने अपनी शादी को रद्द करने और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत अपने ससुराल वालों और पति के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश मांगे हैं। उसने अधिकारियों को अपनी और अपनी दोस्त की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की है। यह मामला दर्शाता है कि कैसे बाल विवाह आज भी समाज में एक गंभीर समस्या बना हुआ है और कैसे लड़कियों को अपने अधिकारों और शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ता है।