ऑफ द रिकॉर्ड: फागू चौहान को राज्यपाल बना भाजपा ने साधे कई निशाने

Monday, Jul 22, 2019 - 05:11 AM (IST)

नेशनल डेस्क: फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाना अप्रत्याशित जरूर है लेकिन इसके जरिए भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। उनकी ताजपोशी के पीछे दूरदर्शिता और सोची-समझी रणनीति है। उनकी तैनाती के जरिए जहां बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर भाजपा की नजर होगी वहीं पूर्वांचल में भी पिछड़ों को साधने की मुहिम को आगे बढ़ाने का इरादा है। बिहार से ही सटा पूर्वांचल है। 

पूर्वांचल के कई जिलों में पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोनिया चौहान बिरादरी की अच्छी-खासी आबादी है। फागू भी इसी बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। खत्री बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले लालजी टंडन की वहां इस लिहाज से सीमित उपयोगिता है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग के एक व्यक्ति को बिहार राजभवन की बागडोर सौंपकर भाजपा की ओर से पिछड़ी जातियों को एक सशक्त संदेश देने की कोशिश की गई है। 

एक और नजरिए से देखें तो यह निर्णय पिछड़ी जातियों को सिलसिलेवार तरीके से अपने पाले में करने की भाजपा की मुहिम की एक और कड़ी है। वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह को पूर्व में मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने कभी पिछड़ों में शामिल लोध जाति को अपने पाले में किया था। उसके बाद विनय कटियार, ओम प्रकाश सिंह जैसे नेताओं को महत्व देकर उसने कुर्मी बिरादरी को तवज्जो दी।

पिछले विधानसभा चुनाव से पहले मौर्य बिरादरी के केशव प्रसाद मौर्य को पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और फिर उपमुख्यमंत्री बनाकर उसने इस जाति से रिश्ते मजबूत किए। हाल ही में कुर्मी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उसने पूर्वांचल और बुंदेलखंड में पिछड़ों को साधने का काम किया। अब राज्यपाल पद पर फागू की नियुक्ति से पिछड़ों को और अहमियत दी गई है।

Pardeep

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