Experts ने बताया- दुनिया के लिए क्या मायने रखता है PM मोदी का तीसरा कार्यकाल ?
punjabkesari.in Wednesday, Jun 05, 2024 - 02:41 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की जीत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए दुनिया भर से बधाई संदेश भेजे जा रहे हैं। विपक्ष जो भी कहे लेकिन दुनिया जानती है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया में एक अलग छाप छोड़ी है और देश का कद वैश्विक पटल पर ऊंचा हुआ है। एक्सपर्टस का मानना है कि कम बहुमत के बावजूद लगातार तीसरा चुनाव जीतने वाले नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों के बीच अधिक पावरफुल होंगे। किंग्स कॉलेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हर्षवी पंत ने कहा, "तीन चुनावी जीत के साथ मोदी वैश्विक स्तर पर सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक होंगे। उन्होंने अपने और भारत के लिए बड़ी महत्वाकांक्षाएं निर्धारित की हैं और इसकी संभावना नहीं है कि वह अपनी विरासत से समझौता करेंगे।" मोदी का तीसरा कार्यकाल उनकी एक दशक की कूटनीतिक महत्वाकांक्षाओं को एक अलग लेवल पर आगे बढ़ा सकता है
अमेरिका और यूरोप से रिश्तों आएगा नया मोड़
एक्सपर्ट की माने तो मोदी के तीसरे कार्यकाल में अमेरिका और यूरोप से भारत के रिश्ते और मजबूत व गहरे होंगे। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती मुखरता के खिलाफ गठित क्वाड समूह में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत भी शामिल है। पिछले साल राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ने नरेंद्र मोदी से मुलाकत दौरान नई दिल्ली के साथ वाशिंगटन के संबंधों को "21वीं सदी की निर्णायक साझेदारी" कहा था। फरवरी में, वाशिंगटन ने भारत को अत्याधुनिक ड्रोनों की 4 बिलियन डॉलर की बिक्री को मंजूरी दी, जो अपने उत्तरी पड़ोसी के प्रति संतुलन में भारत को मजबूती देती है। अमेरिका और भारत के संबंध और बेहतर होंगे। भारत के यूरोपीय देशों के साथ भी संबंध बढ़ रहे हैं और उसे फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू जेट और स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बियों की बिक्री सहित बहु-अरब डॉलर के रक्षा सौदों का विस्तार करने की उम्मीद है।
चीन को लेकर जताई उम्मीद
वरिष्ठ पूर्व राजदूत जयंत प्रसाद के अनुसार उन्हें उम्मीद है कि मोदी के इस कार्यकाल में दोनों देशों के बीच "प्रतिकूल संबंध" कायम रहेंगे। उन्होंने कहा, "भारत अपने दोस्तों के साथ मिलकर चीन की आक्रामकता पर लगाम लगाने की कोशिश करेगा।" वहीं राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि चीन पर जल्द खुशखबरी मिल सकती है। जाहिर है वह सीमा विवाद को लेकर बोल रहे थे। अगर ऐसा होता है तो संबंध अच्छे भी हो सकते हैं. दरअसल एग्जिट पोल आने के बाद चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि मोदी के फिर से सत्ता में आने से दोनों देशों के संबंध अच्छे होंगे।
भारत की भूमिका मजबूत होगी
नई दिल्ली को "ग्लोबल साउथ की एक मजबूत और महत्वपूर्ण आवाज" कहने और पिछले साल भारत के दो "वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ" शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाले नरेंद्र मोदी एशियाई, अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों के प्रतिनिधि के रूप में भारत की भूमिका को मजबूत करेंगे। अफ्रीकी संघ गुट जी20 का स्थायी सदस्य बनाने पर भारत का तर्क है कि विकासशील देशों को वैश्विक निर्णय लेने में अधिक भागीदारी की आवश्यकता है।
रूस से संबंधों पर की टिप्पणी
मार्च में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनके दोबारा चुने जाने पर नरेंद्र मोदी ने बधाई दी थी और कहा था कि वह उनके "विशेष" रिश्ते को विकसित करने के लिए उत्सुक हैं।जाहिर है, मोदी की इस जीत से रूस खुश होगा और भारत के संबंधों के और ऊंचाई पर जाने की उम्मीद रखता है। बता दें कि नई दिल्ली और मॉस्को के बीच शीत युद्ध के समय से संबंध हैं और रूस अब तक भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। नई दिल्ली ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की स्पष्ट निंदा से परहेज किया है, मास्को की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर रोक लगा दी है, और रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति भी कर रहा है।