Exclusive Interview : हनी सिंह- मैं तो लोगों के दिलों से कभी गया ही नहीं

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2019 - 10:29 AM (IST)

नई दिल्ली। इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री में जब भी रैप का जिक्र होता है उस वक्त सबसे पहले जो नाम जहन में आता है वो है सिंगर और रैपर 'यो यो हनी सिंह'। सबको अपने रैप से दीवाना बनाने और अपने म्यूजिक पर नचाने वाले हनी सिंह ने लंबे अंतराल के बाद वापसी की और एक के बाद एक सुपरहिट गाने दिए। आईफा अवॉर्ड्स 2019 में हनी सिंह को 'सोनू के टीटू की स्वीटी' के लिए 'बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन' अवॉर्ड से नवाजा गया। सिर्फ इतना ही नहीं, हनी सिंह जल्द ही परफॉर्म करने एक वर्ल्ड टूर पर भी जाने वाले हैं। दिल्ली पहुंचे हनी सिंह ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से बातचीत की। पेश हैं इसके प्रमुख अंश।

छोटे कामों ने किया बड़े काम के लिए तैयार
मेरे पिता हमेशा से चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं लेकिन मेरी मां की म्यूजिक में काफी रूचि रही है। उन्हीं के कारण मैं म्यूजिक से जुड़ा। मैंने कभी सोचा नहीं था कि म्यूजिक मेकर बनूंगा लेकिन शुरू से ही गाने सुनते-सुनते मैं म्यूजिक लवर बन गया और फिर म्यूजिक मेकर बनना मेरी जिंदगी का मकसद बन गया। मैं जब इस इंडस्ट्री में आया तब मुझे काम थोड़ा ही आता था लेकिन मुझे काम बहुत मिल रहा था। मैंने काम कर-करके सीखा है। मैंने छोटे काम बहुत किए और उन्हीं छोटे कामों ने मुझे बड़े काम के लिए तैयार किया।

अवॉर्ड से पड़ता है फर्क
जब भी मुझसे कोई पूछता था कि मैं वापसी कब कर रहा हूं, तो मैं उन्हें एक ही जवाब देता था कि मैं कभी गया ही नहीं। भले ही मैं फिजिकली मौजूद नहीं हूं लेकिन लोग मुझे अभी भी पार्टी, रेस्टोरेंट और रेडियो पर सुनते हैं। मैं लोगों के दिलों में आज भी मौजूद हूं। हां, बस गाने नहीं बना रहा था। उसमें कमबैक के बाद आईफा अवॉर्ड मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी है। जो लोग ये बोलते हैं कि अवॉर्ड से कोई फर्क नहीं पड़ता, वो झूठ बोलते हैं, अवॉर्ड से बहुत फर्क पड़ता है खासकर आर्टिस्ट की फैमिली को। इसकी खुशी और इसका मॉजिवेशन अलग ही होता है।

वर्ल्ड टूर के लिए हूं एक्साइटेड
कमबैक करने के बाद मेरे पास बहुत से शो आए लेकिन हमने सोचा कि एक-एक शो करने से बेहतर है कि एक पूरा टूर प्लान किया जाए जो अब जल्द होने वाला है। इस टूर के लिए हम सभी बहुत ही एक्साइटेड हैं। इसी महीने से हम उसकी रिहर्सल भी शुरू कर देंगे। इस टूर की टीम में हमने दो नए आर्टिस्ट को भी जगह दी है। ये बिल्कुल यंग और दिल्ली की सड़कों से निकले हुए टैलेंट हैं।

मैंने और मां ने लिखा 'धीरे-धीरे मेरी जिंदगी में आना'
जब ये गाना लिखा गया उस वक्त मैं बीमार था। तभी भूषण कुमार मेरे घर पर आए और बोले- भले ही आप बीमार हैं लेकिन आपको म्यूजिक से दूर नहीं होना, आपको गाना बनाना है क्योंकि ये आपकी खुदको लेकर एक जिम्मेदारी है। उनकी बातें मुझे सही लगीं। उसके बाद मैंने गाना लिखना शुरू तो किया लेकिन आधे पर ही रुक गया। बहुत समय निकल गया लेकिन मैं आगे लिख ही नहीं पा रहा था, तब मेरी मां मेरी साथ बैठीं और फिर उन्होंने इस गाने को पूरा करने में मेरी मदद की।


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Chandan

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