जिन्होंने खुद कांग्रेस छोड़ी थी,वो मुझे कह रहे गद्दारःलवली

Saturday, Apr 22, 2017 - 10:35 AM (IST)

नई दिल्ली : कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए वरिष्ठ नेता व दिल्ली के पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि वह भाजपा से जुड़े हैं तो पूरी ईमानदारी से काम करेंगे। पार्टी छोड़ने के पीछे जो सबसे बड़ी वजह रही, उसको बताते हुए लवली ने कहा कि अजय माकन प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह पार्टी को चला रहे हैं और वरिष्ठ नेताओं को नजरंदाज कर रहे हैं, उससे उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंची। उससे कांग्रेस छोड़ने का पूरी तरह मन बन गया। यहां नवोदय टाइम्स/पंजाब केसरी के कार्यालय में लवली ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस व भाजपा के साथ कई विषयों पर खुलकर चर्चा की। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:

- लगभग तीस साल कांग्रेस में रहने तथा 15 साल तक मंत्री रहने के बाद कांग्रेस से अचानक आपका मोहभंग क्यों हो गया?

जिस कांग्रेस को ज्वाइन किया था वह कांग्रेस अब रही नहीं। यह कोई आसान निर्णय तो था नहीं, बहुत कठिन निर्णय था। जिस पार्टी के साथ इतने समय तक लगे रहे हों, उसे छोडऩे का फैसला लेना पड़ा। पिछले दो साल से पार्टी में जो कार्यशैली चल रही थी, उससे हम लोगों को परेशानी हो रही थी। हमने उचित प्लेटफार्म पर इन बातों को उठाने की कोशिश भी की, लेकिन नेतृत्व की तरफ से हमारी बातों को सुनने के लिए समय नहीं दिया गया। राजनीति में हर चीज पर समझौता हो सकता है लेकिन आत्मसम्मान पर नहीं। मेरे लिए राजनीतिक करियर से ज्यादा अपना आत्मसम्मान महत्वपूर्ण है। 

-आपने भाजपा ज्वाइन करने का फैसला क्यों लिया?

भाजपा पार्टी के रूप में मेरे लिए नई जरूर है लेकिन पिछले दो सालों में इस पार्टी के प्रति हमारी सोच में बदलाव आया है। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अमित शाह जी ने नेतृत्व दिया है, हम उसके कायल हैं। पहले भी हम बंद कमरों में भाजपा के फैसलों की तारीफ करते थे। तब नहीं सोचा था कि हम भाजपा को ज्वाइन करेंगे। जैसे सॢजकल स्ट्राइक का मुद्दा हुआ। हम कांग्रेस के लाइन से उस समय बिल्कुल सहमत नहीं थे। 

- पार्टी से नाराजगी केे तात्कालिक कारण क्या थे?

दो सालों से स्थितियां खराब थी, लेकिन हम सोचते रहे कि चलो जिस पार्टी से जुड़े हैं, जुड़े रहें। टिकट बांटने में कुछ लोगों ने नहीं पूछा, वह कोई खास बात नहीं है। यह अध्यक्ष का अधिकार है कि वह किसे टिकट देता है। कैम्पेन कमेटी बनती है, उसमें कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता को नहीं रखा जाता है। उसके बाद मेनीफेस्टो कमेटी बनती है, उसमें भी सीनियर नेताओं को अनदेखा किया जाता है। फिर हम हैं उस पार्टी में। इस सबके बावजूद हम सबकुछ अनदेखा करके पार्टी के साथ काम करते रहे। 

- इसके बाद अचानक क्या हुआ जो पार्टी छोड़ने का फैसला ले बैठे?

मीडिया में डॉ. वालिया तथा मंगतराम सिंघल का एक बयान आया कि नगर निगम चुनाव के लिए पार्टी के टिकट बेचे जा रहे हैं। सीनियर नेताओं के इन आरोपों को गंभीरता से लेने के बजाय प्रदेश अध्यक्ष (अजय माकन) ने कहा कि ऐसे आरोप तो लगते रहते हैं। सभी जानते हैं कि केंद्र में यूपीए की सरकार घोटालों के आरोप के चलते ही गई थी। हम अब भी चेतने को तैयार नहीं हंै। केंद्र व राज्य में हमारी सरकार नहीं है तो हम टिकटें बेचने जैसे आरोप को भी गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं। इसी के बाद पार्टी छोडऩे का निर्णय लिया। 

दो साल से आप पार्टी की गतिविधियों से दूरी बनाए हुए थे, क्यों?

आप सही कह रहे हैं। पहली बार जब केजरीवाल चुनाव लड़कर 28 सीटें ले आए तो कांग्रेस नेतृत्व ने दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष बनाने के लिए खुद उन्हें सम्पर्क किया था। उस समय वाकई संगठन की स्थिति बहुत कमजोर थी। मैने नेतृत्व के निर्देशों का सम्मान करते हुए फैसले को स्वीकार कर लिया। वह कांग्रेस के लिए बहुत कठिन समय था, लोग पार्टी का नाम तक नहीं सुनना चाहते थे। हमने लोगों के बीच जाकर काम किया। संगठन को खड़ा किया।

2014 में जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव दोबारा कराने की घोषणा हुई तो नेतृत्व ने हमें अनदेखा किया और अजय माकन को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव में उतरने का फैसला लिया। कांग्रेस हारी और माकन जमानत तक नहीं बचा सके, फिर भी उन्हें प्रदेश संगठन की बागडोर सौंप दी गई, यह ठीक नहीं था।

आपने कहा कि पार्टी की गतिविधियों के बारे में आपने नेतृत्व से बात करने की असफल कोशिश की थी, किस-किस पार्टी नेता से बात करने की कोशिश की थी? 

देखिए पार्टी में लम्बे समय से सीनियर पदों पर रहा हूं, तो इन मुद्दों पर जाहिर है कि मैने शीर्ष नेतृत्व के सामने ही अपनी बात रखने की कोशिश की थी। सोनिया गांधी लम्बे समय से अस्वस्थ चल रही हैं, ऐसे में राहुल गांधी से ही हमने अपनी बातें रखने की कोशिश की थी। 

कांग्रेस छोडऩे के बाद जिस तरह के शब्दों में आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं, वैसा पहले कभी देखने को नहीं मिला। शीला दीक्षित ने तो आप को गद्दार तक कह दिया?

फ्रस्टेशन में लोग कुछ न कुछ तो कहेंगे ही। जहां तक शीला जी की बात है मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। वे खुद बताएं कि कांग्रेस में रहकर उन्होंने पार्टी के लिए प्रचार में हिस्सा क्यों नहीं लिया। गद्दार कौन है वे या मैं। मैने कांग्रेस में शीला जी की तरह बोझ बनने के बजाय भाजपा में शामिल होकर गद्दार कहलाना पसंद किया। 

भाजपा में आप कैसे एडजस्ट होंगे?

भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला हमने दिल से लिया है। हम लम्बे समय से कांग्रेस की राजनीतिक फैसले से असहमत थे। कांग्रेस में थे तब भी मेरा मत रहता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह राष्ट्रीय मुद्दों पर फैसले ले रहे हैं हमें उसका समर्थन करना चाहिए। 

निगम चुनावों से पहले भाजपा ज्वाइन करने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं?

सही है कि हम दो साल से नाराज थे लेकिन जिस तरह से डॉ. वालिया तथा मंगत राम सिंघल के बयान पर प्रदेश अध्यक्ष का बयान आया, उसके बाद हमे पार्टी में बने रहने का कोई औचित्य नहीं समझ में आ रहा था। जो टिकट खरीदकर पार्षद बनेगा वह जनता की कैसे सेवा करेगा। दूसरी ओर अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने पार्टी के सभी वर्तमान पार्षदों को टिकट न देने जैसा कड़ा फैसला लेकर निगम चुनाव की राजनीति को बदलने का संकेत दे दिया है। 

भाजपा में सिख  चेहरा की कमी को पूरा करेंगे?

सिख चेहरा तो मैं कांग्रेस में भी था। फिर भाजपा में सिख चेहरा बनने क्यों जाता। मैं जिस क्षेत्र से सालों से चुनाव जीतता रहा हूं वहां मुश्किल से तीन-चार हजार सिख मतदाता होंगे। मैंने कभी जाति व धर्म विशेष की राजनीति नहीं की है। 

बेटे के मन की बात सुनकर आपने भाजपा ज्वाइन की?

एक दिन मैं बेटे और उसके दोस्तों के साथ बैठा था। उसी दौरान बेटे ने मुझसे कहा कि आपकी पार्टी कैसी है जो सेना को भी सपोर्ट नहीं करती। भाजपा तो इससे अच्छी है। इसके बाद से मेरे मन में भी भाजपा के प्रति अच्छे भाव आ गए।

केजरीवाल सरकार के कामकाज पर आप क्या कहना चाहेंगे?

‘आप’ सरकार जिस तरह फैसले ले रही है उससे लोग परेशान हैं। स्कूल ट्रांसपोर्ट तथा स्वास्थ्य सभी का हाल बुरा है। आपको ख्याल होगा कि केजरीवाल ने मेट्रो में सफर करने का दावा किया था। शपथग्रहण में जरूर वे मेट्रो से गए थे, उसके बाद कभी मेट्रो की ओर झांकने नहीं गए। काम दो साल पीछे चल रहा है। यह काम समय से पूरा हो जाता तो दिल्ली में ट्रैफिक की समस्या किसी हद तक नियंत्रित की जा सकती थी। 

जब आपने कांग्रेस पार्टी छोड़ी तो उसी दिन एक इंटरव्यू में माकन इसकी चर्चा होने पर रो पड़े थे, आप क्या कहेंगे?

अजय माकन और हमने लम्बे समय तक साथ में काम किया है। हम अच्छे दोस्त भी रहे हैं।  मुझे मालूम है कि वे कब-कब कैसा नाटक करते हैं। अब वे रो रहे हैं, अगर दो महीने पहले इसकी आधी भावुकता भी दिखा देते तो शायद यह फैसला नहीं लेना पड़ता। मेरे पार्टी छोडऩे का उन्हें इतना दुख है तो जरा मेरी उनकी कॉल डिटेल चेक करिए तो पता लगेगा कि अंतिम बार हमारी उनकी बात कब हुई थी। 

निगम चुनावों में आपके हिसाब से कांग्रेस की स्थिति क्या होगी। क्या पहले से बेहतर हुई है?

देखिए कांग्रेस की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। हां आम आदमी पार्टी की स्थिति चूंकि पहले से बहुत खराब हुई है, इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। भाजपा विरोधी मतदाता कांग्रेस की ओर इस बार थोड़ा-बहुत मुड़ सकते हैं।

कांग्रेस में लौटने का सवाल नहीं, सरदार आदमी हूं, फैसला ले लिया तो ले लिया

एक समय में शीला दीक्षित और अजय माकन ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दिया था लेकिन बाद में वे पार्टी में लौट आए। क्या आप भी शीर्ष नेतृत्व के सम्पर्क करने पर कांग्रेस में लौट सकते हैं।?

शीला दीक्षित और माकन दोनों ने कांग्रेस छोड़ी थी। आज वही लोग हमें पार्टी छोडऩे के लिए गद्दार कह रहे हैं। निजी तौर पर मैं शीला जी व माकन जी का सम्मान करता हूं। राहुल गांधी व सोनिया गांधी का भी मैं बहुत सम्मान करता हूं। जब यह कह रहा हूं कि राहुल गांधी के राजनीतिक विचारों के साथ चलना अब मेरे लिए संभव नहीं है तो माकन और शीला तो कहीं गिनती में ही नहीं हैं। कांग्रेस में लौटने का सवाल ही नहीं, सरदार आदमी हूं, जब फैसला ले लिया तो ले लिया।

राहुल गांधी के प्रति सम्मान है उनसे हुई बातचीत आपस की

भाजपा में शामिल होने के बाद राहुल गांधी या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से आपसे किसी ने सम्पर्क किया?

वह हमारी व उनके बीच की निजी बात है। इस बारे में मैं मीडिया में कोई चर्चा नहीं करना चाहूंगा। 

पार्टी की गड़बडिय़ों को सुनने के लिए नहीं दिया समय

पिछले दो सालों में आपकी एक बार भी राहुल गांधी से बात नहीं हो पाई?
नहीं, ऐसा नहीं है। जब उन्हें पार्टी के किसी मुद्दे पर कुछ कहना होता था तो सीधे फोन आ जाता था, लेकिन पार्टी में चल रही गड़बडिय़ों पर चर्चा के लिए हमने जब भी समय मांगा तो हमें समय नहीं मिला। 

माकन ने टिकट देने में यूथ का ख्याल नहीं रखा: अमित मलिक

जब मैंने कांग्रेस छोड़ी थी तो अजय माकन ने कहा था कि इससे चुनाव में कांग्रेस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मैं पहली बार यहां दावे से कह रहा हूं कि मैं सुनिश्चित करूंगा कि हमारे क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी भारी अंतर से जीते।  तिलकनगर डिस्ट्रिक्ट जो खुद माकन का इलाका है, वहां की पांच विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस एक भी पार्षद को जिता लेगी तो मैं मानूंगा कि माकन जी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।  मैं अभी से बता रहा हूं कि चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के चलते अजय माकन की प्रदेश अध्यक्ष पद से छुट्टी तय है। 

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