EVM: हारे तो विरोध, जीत गए तो चुप्पी

Tuesday, Dec 19, 2017 - 01:15 PM (IST)

नेशनल डेस्कः चुनाव में किसी की हार होती है तो किसी की जीत, पर हारने वाले अक्सर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर ठीकरा फोड़ते हैं। गुजरात के चुनावी नतीजों के बाद भी यही देखने को मिल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि ज्यादातर दल कभी न कभी ईवीएम पर सवाल खड़े कर चुके हैं। हार होते ही वे ईवीएम को जिम्मेदार बताते हैं, जबकि जीत होने पर चुप्पी साध लेते हैं...

-1977 में पारदर्शिता के लिए निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म की बात कही, जिसके बाद ईवीएम बनाने का काम शुरू हुआ।
-1980 में निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम दिखाई थी, इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने तैयार किया।
-1982 में केरल में 50 पोलिंग बूथों पर ईवीएम इस्तेमाल हुई थी, सीपीएम नेता सिवान पल्लई ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दी थी।
-1998 में आयोग ने 16 विधानसभा सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया, इनमें दिल्ली की 6, राजस्थान की 5 और मध्यप्रदेश की 5 सीटें थी ।

विरोध की शुरूआत
2009 में बीजेपी की हार के बाद अडवानी ने ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे। आज भले ही बीजेपी ईवीएम का विरोध करने वालों का मजाक उड़ा रही है, पर सच यही है कि ईवीएम के खिलाफ मुहिम बीजेपी ने छेड़ी थी।

छेड़छाड़ साबित नहीं
इस साल हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद मायावती, अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे। जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को ईवीएम से छेड़छाड़ साबित करने की चुनौती दी थी, पर वे इसे साबित नहीं कर पाए।

कांग्रेस भी पीछे नहीं
2009 में ही कांग्रेस ने भी ईवीएम के नतीजों पर सवाल उठाए थे। ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल की जीत  बाद राज्य कांग्रेस के नेता जे बी पटनायक ने जीत की वजह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को बताया था।

नहीं निकाल पाए खामी
2009 में ईवीएम का विरोध करने वालों के सामने निर्वाचन आयोग ने वोटिंग मशीन का डिमोस्ट्रेशन रखा, लेकिन विरोध करने वाले इसमें कोई भी खामी नहीं निकाल पाए।

ईवीएम पर किताब
2010 में चुनाव विश्लेषक और बीजेपी के मौजूदा प्रवक्ता जीवीएम नरसिम्हा ने ईवीएम पर किताब लिखी थी - ‘डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट ऑवर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन।’ किताब की प्रस्तावना अडवानी ने लिखी थी।

आम चुनाव में ईवीएम
2004 के आम चुनावों से पूरे देश में ईवीएम इस्तेमाल में लाई जा रही है। 2004 में ही वरिष्ठ वकील प्राणनाथ लेखी ने दिल्ली हाईकोर्ट में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए थे।

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