उपचुनावों पर आतंकी धमकी का साया : रैलियों से परहेज, प्रचार ‘डोर-टू-डोर’ तक सीमित

Friday, Mar 24, 2017 - 12:12 AM (IST)

श्रीनगर : कश्मीर में नौ अप्रैल को होने वाले उपचुनाव के लिए दो लोकसभा सीटों को लेकर आतंकी धमकी का खासा असर दिख रहा है। हालांकि सुरक्षा बल दावा कर रहे हैं कि चुनाव पर आतंकी धमकी का कोई असर नहीं है। धमकी का ही असर है कि चुनाव मैदान में उतरे राजनीतिक दल पुलिस की सलाह पर प्रचार अभियान को सिर्फ  डोर-टू-डोर तक ही सीमित रखे हुए हैं। इतना ही नहीं असुरक्षा का हवाला देते हुए पैंथर्स पार्टी ने तो चुनाव मैदान में उतरने से ही इनकार कर दिया है।
नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर फारुक अब्दुल्ला श्रीनगर सीट से मैदान में हैं तो पी.डी.पी की ओर नजीर खान चुनाव मैदान में हैं। वहीं अनंतनाग से पीडीपी की ओर से मुफ्ती मोहम्मद सईद के बेटे तसद्दुक मुफ्ती ने पर्चा भरा है। यहां नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की ओर से साझा तौर पर जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर मैदान में हैं। चूंकि भाजपा का कश्मीर में कोई खास असर नहीं है, इस वजह से उसने इन उपचुनावों में पी.डी.पी के समर्थन का एलान किया है।


कांग्रेस-नैका गठजोड़
नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को अब यह बात समझ में आ चुकी है कि अगर जम्मू-कश्मीर में पी.डी.पी और भाजपा को हराना है तो इक_े होकर लडऩा पड़ेगा।
आतंकियों ने पहले की तरह इस बार भी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी  दी है। यही वजह है कि कार्यकर्ताओं पर हमले की आशंका की वजह से पार्टियों के उम्मीदवार रैलियां करने के स्थान पर घर-घर जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सत्तारूढ़ पी.डी.पी के अनंतनाग से उम्मीदवार तसद्दुक मुफ्ती पहले ही पार्टी कार्यकर्ताओं को अपनी जान जोखिम में न डालने की बात कह चुके हैं। ऐसे में कश्मीर में उपचुनाव में भाग ले रहे सभी प्रमुख दलों के नेता चुनाव प्रचार में एहतियात बरत रहे हैं।
इन उपचुनावों में पी.डी.पी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। लोगों की दिलचस्पी इस बात में है कि क्या पी.डी.पी इन सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखती है या नहीं।

 

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