Election Diary: जब अमिताभ बच्चन को चुनाव में मिले थे 4000 "Kiss Vote "

Thursday, Mar 14, 2019 - 01:36 PM (IST)

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा ): आपने चुनाव में नोट और वोट की बात अक्सर सुनी होगी जिसमें उम्मीदवार को उनके समर्थक वोट और नोट देने का दम भरते हैं। कई बार मतपेटियों में (प्री एवीएम इरा में ) नोट निकलने की ख़बरें भी आई  हैं।  लेकिन क्या आपने सुना है कि  किसी उम्मीदवार को  ऐसे वोट पड़े हों जिनपर मुहर की जगह महिलाओं ने Kiss  करके Lipstic Mark बनाकर वोट डाला हो? आज चर्चा इन्हीं  kiss votes की। 


 
यह 1984 की बात है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव को सियासत में जमने के लिए अपनों की जरूरत महसूस हुई। ऐसे में उन्होंने अपने करीबी दोस्त अभिनेता अमिताभ बच्चन को चुनाव लडऩे के लिए कहा। अमिताभ को इंदिरा अपने बेटे समान मानती थीं। अमिताभ ने राजीव का आग्रह मान लिया और तय हुआ कि अमिताभ इलाहाबाद से उस वक्त के दिग्गज नेता हेमवतीनंदन बहुगुणा को चुनौती देंगे। ये वही बहुगुणा थे जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे और केंद्र में कद्दावर मंत्री। इंदिरा गांधी से अनबन के बाद इन्होने कांग्रेस छोड़ दी थी। खैर इलाहाबाद में मुकाबला शुरू हुआ तो सभी ने अमिताभ बच्चन को हल्के में लिया।  किसी भी चुनाव पर्यवेक्षक ने यह नहीं कहा कि अमिताभ का जीतना तो दूर वे बहुगुणा को टक्कर भी दे पाएंगे। 



दरअसल बहुगुणा का सियासी कद ही इतना बड़ा था। ऐसे में जिस्मानी कद की लम्बाई में उनसे इक्कीस अमिताभ बच्चन के सामने बड़ी चुनौती थी। लेकिन उनका स्टारडम उनके काम आया और उन्होंने वो कर डाला जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी।  अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को हजार दो हजार नहीं बल्कि एक लाख 87 हजार वोटों के अंतर से हराया। इस हार के बाद बहुगुणा सियासत से ही संन्यास ले गए थे। लेकिन इस चुनाव की एक और खास बात थी। 



मतगणना के दौरान अमिताभ बच्चन के चार हज़ार वोट रद हो गए।  वजह बड़ी दिलचस्प थी।  इन वोटों पर Lipstic  से Kiss Mark  बने हुए थे।  दरअसल ये अमिताभ की फैन्स  महिलाओं /लड़कियों के वोट थे जिन्होंने मतपत्र पर  मुहर के बजाये Kiss  Mark लगाकर  वोट डाला था।  एक शख्स  के प्रति लगाव का ऐसा उदाहरण आजतक कोई दूसरा नहीं आया है।  हालांकि ये दीगर बात है कि  अमिताभ बच्चन ने वो कार्यकाल पूरा नहीं किया और 1988  में सांसदी छोड़ दी थी।  लेकिन उनके ये Kiss Vote  इतिहास में दर्ज हो गए।   



 ऐसी थी अमिताभ के प्रति दीवानगी 
लोकसभा चुनाव 1984 में संसदीय क्षेत्र इलाहाबाद में अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता जनता के सर चढ़कर बोली थी।लोगों की अमिताभ के प्रति दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव बूथों पर रात दस बजे तक वोटिंग हुई थी। चुनाव की अगली सुबह पोलिंग पार्टियां  करीब साढ़े दस बजे मत पेटिका लेकर रवाना हुई थीं। कई पोलिंग बूथों पर 100 फीसदी तक वोटिंग हुई थी। इतनी जबरदस्त वोटिंग देखकर उस समय चुनाव आयोग ने भी टिप्पणी की थी कि क्या एक आदमी भी वोटिंग के दिन बीमार नहीं था।उस चुनाव में इलाहाबाद में 58  फीसदी मतदान हुआ था जिसमे से 69 फीसदी वोट अमिताभ के खाते में गए थे। 



बहुगुणा ने खूब कसे थे तंज 
इस चुनाव में बहुगुणा और उनके समर्थकों ने अमिताभ बच्चन पर  खूब तंज कसे थे। बहुगुणा ने कहा था कि  ये नाचने -गाने वाले हैं (अमित-जया ) चार दिन बाद  मुंबई लौट जायेंगे।  इस पर जब मीडिया ने अमिताभ और जया से सवाल पूछे तो उनकी प्रतिक्रिया थी -बहुगुणा जी हमसे बड़े हैं , उनकी बात पर हम कुछ नहीं कह सकते। 



जब अमिताभ ने गाया था गाना 
उस दौर में अमिताभ के खिलाफ बहुगुणा पक्ष के नारे भी दिलचस्प थे -नारों की एक बानगी देखिये :-
हेमवती नंदन इलाहाबाद का चंदन.
दम नहीं है पंजे में, लंबू फंसा शिकंजे में.
सरल नहीं संसद में आना, मारो ठुमका गाओ गाना.
जब  हद हो गई तो एक जनसभा में  अमिताभ बच्चन ने गाना गाया  था --- मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है।  कहते हैं इस गाने ने  रही सही कसर भी पूरी कर दी, क्योंकि अमिताभ बच्चन इलाहाबाद के थे और बहुगुणा  गढ़वाल के।  ऐसे में  उनके खिलाफ बाहरी होने का मुद्दा भी चल गया।  



जब जया ने मांगी मुंह दिखाई 
अस्मिताभ बच्चन का परिवार 1956 में इलाहाबाद से दिल्ली चला गया था। वहीं से अमिताभ माया नगरी चले गए और फिल्मों में स्थापित हो गए। लेकिन इलाहाबाद वालों से उनका प्यार कम नहीं हुआ। ऐसे में चुनाव में जया बच्चन जहां भी जातीं वे बहू होने के नाते लोगों से मुंह दिखाई में अमित के लिए वोट मांगतीं। लेकिन शायद जया भादुड़ी ने भी सोचा न होगा कि  इतनी अधिक मुंह दिखाई मिलेगी।  



कौन थे हेमवती नंदन बहुगुणा 
उत्तर प्रदेश के  मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। उनके परिवार की आज भी सियासत में तूती बोलती है। उनके बेटे विजय बहुगुणा आगे चलकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने।  उनकी बेटी रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश की जानी-मानी राजनेत्री हैं और कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। फिलहाल दोनों भाई बहन बीजेपी में हैं। बहुगुणा के रसूख का अंदाज यहीं से लगा लीजिये कि एक समय में इंदिरा गांधी के विकल्प के तौर पर उनको देखा जाने लगा था। यहां तक कि 1984 के चुनाव में  इंदिरा गांधी की हत्या की सुहानुभूति लहर के बावजूद वीपी सिंह जैसों ने उनके खिलाफ चुनाव लडऩे के राजीव के आदेश को मानने  से यह कहकर इंकार कर दिया था कि कौन अपना करियर खराब करेगा। लेकिन अमिताभ की आंधी ने उलटे बहुगुणा के सियासी सफर पर ब्रेक लगा दी। 

Anil dev

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