Election Diary: मोरारजी देसाई को पार्टी के भीतर हराकर PM बनी थीं इंदिरा

Tuesday, Mar 19, 2019 - 10:37 AM (IST)

जालंधर (नरेश कुमार): भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद अगले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का चयन तो आम सहमति के साथ आसानी से हो गया था लेकिन ताशकंद में शास्त्री जी की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी के लिए प्रधानमंत्री बनने का रास्ता इतना आसान नहीं था क्योंकि उनके रास्ते में मोरारजी देसाई रोड़ा बन गए थे। देसाई बाम्बे के मुख्यमंत्री रह चुके थे और उन्हें केंद्र में मंत्री रहने का अनुभव भी हासिल था। 

जवाहरलाल नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी भी कांग्रेस की अध्यक्षा रह चुकी थीं और नेहरू सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री के तौर पर भी काम कर चुकी थीं। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया। उस समय कांग्रेस में एक शक्तिशाली सिंडीकेट काम कर रहा था। इस सिंडीकेट ने कांग्रेस के अध्यक्ष के. कामराज के अलावा मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष एस.के. पाटिल, मैसूर कांग्रेस के अध्यक्ष एस. निजङ्क्षलगप्पा, आंध्र प्रदेश के एन. संजीवा रैड्डी और पश्चिम बंगाल के अतुल्य घोष शमिल थे लेकिन इतने शक्तिशाली नेताओं के समर्थन के बावजूद इंदिरा गांधी को पार्टी के भीतर ही चुनाव की स्थिति का सामना करना पड़ा। 
 
इस चुनाव के दौरान इंदिरा गांधी को दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन हासिल हुआ और वह देश की अगली प्रधानमंत्री बनीं। जिस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनीं उस समय देश के आर्थिक हालात इतने अच्छे नहीं थेे और उनके सामने काफी चुनौतियां थीं और आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों के अलावा राजनीतिक मोर्चे पर भी उन्हें खुद को साबित करना था क्योंकि उनके प्रधानमंत्री बनने के एक साल के भीतर ही देश 1967 के आम चुनाव में जाने वाला था लेकिन उन्होंने अपनी सूझबूझ के साथ राजनीतिक हालातों पर नियंत्रण किया। उनकी अगुवाई में कांग्रेस 1967, 1971 व 1980 के चुनाव जीती।

Anil dev

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