इलेक्शन डायरीः शंकर दयाल के ‘इन्कार’ ने नरसिम्हा को बनवाया पी.एम.

Monday, Mar 25, 2019 - 05:28 AM (IST)

नेशनल डेस्कः 1989 के चुनाव के बाद देश ने राजनीतिक अस्थिरता का दौर देखा और वी.पी. सिंह और चंद्रशेखर के रूप में 2 प्रधानमंत्रियों का असफल कार्यकाल देखने के बाद 1991 में देश एक बार फिर आम चुनाव का सामना कर रहा था और चुनाव अभियान की अगुवाई तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी कर रहे थे जो कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री पद के निर्विवादित प्रत्याशी थे लेकिन 20 मई 1991 को पहले दौर के मतदान के एक दिन बाद 21 मई 1991 को तमिलनाडु में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी की हत्या कर दी गई। चुनाव अभियान के मध्य पार्टी अध्यक्ष की हत्या से कांग्रेस के साथ-साथ पूरा देश सन्न रह गया। 

इस दौर में कांग्रेस के सामने सब से बड़ी चुनौती पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की थी। पार्टी ने उस दौर में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष का पद संभालने की पेशकश की लेकिन सोनिया ने सियासत में आने से साफ ‘इन्कार’ कर दिया। सोनिया ने उस समय पार्टी नेताओं से कहा कि मेरे लिए इस वक्त बच्चों की परवरिश ज्यादा जरूरी है लिहाजा पार्टी किसी अन्य नेता का नाम आगे करे। 

सोनिया ने उस दौर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राजनीतिक सलाहकार और उनके चाणक्य समझे जाते पी.एन. हक्सर की राय ली तो उन्होंने सोनिया को उस समय के तत्कालीन उप राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा का नाम सुझाया। सोनिया गांधी इस पर सहमत हो गईं और कांग्रेस नेताओं को सोनिया का संदेश लेकर शंकर दयाल शर्मा के पास भेजा गया लेकिन शंकर दयाल शर्मा ने अपनी सेहत का हवाला देते हुए नम्रतापूर्वक इस पद को ग्रहण करने से इन्कार कर दिया। यह सब ऐसे वक्त में हुआ जब शंकर दयाल शर्मा को पता था कि चुनाव में कांग्रेस की जीत लगभग तय है और जीत के बाद उन्हें देश का एक सर्वोच्च पद मिलने वाला है। 

शंकर दयाल शर्मा के इन्कार के बाद पार्टी के सामने एक बार फिर नया अध्यक्ष चुनने की चुनौती आ खड़ी हुई क्योंकि मीडिया में अगले अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही थीं। सोनिया ने इस दौरान एक बार फिर पी.एन. हक्सर की राय मांगी तो उन्होंने इस बार सोनिया को पी.वी. नरसिम्हा राव का नाम सुझाया और राव के नाम पर अंत में सहमति बन गई। कांग्रेस 1991 के चुनाव में 232 सीटें जीती। उस दौरान पंजाब में माहौल ठीक न होने के कारण चुनाव नहीं हुए थे और 1992 में जब पंजाब में चुनाव हुए तो कांग्रेस पंजाब में भी 12 सीटें जीत गई। इस प्रकार शंकर दयाल शर्मा के इन्कार ने राव को कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनने का मौका दिया।

Pardeep

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