चुनाव आयोग की पार्रिकर काे चेतावनी, बयान देते समय अपनी सीमा में रहें

Thursday, Feb 16, 2017 - 08:11 PM (IST)

नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर द्वारा गोवा में दिए गए बयान को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना है और उन्हें भविष्य में बयान देते समय सावधानी बरतने की हिदायत दी है। आयोग ने कहा है कि ऊंचे संवैधानिक पदों पर कार्यरत सभी नेताओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखें। ऐसे व्यक्तियों द्वारा जनता में दिए गए बयान से अगर यह संकेत मिलता है कि वे मतदाताओं द्वारा रिश्वत देने की बात कह रहे हैं तो इसे भ्रष्ट आचरण माना जाएगा। यह देखते हुए आयोग पार्रिकर को हिदायत देता है कि वे भविष्य में बयान देते समय अपनी सीमा में रहें और सावधानी बरतें। आयोग ने आज पार्रिकर को लिखे गए पत्र में यह हिदायत दी। 

सीडी में किसी तरह की कोई छेड़छाड़ 
गौरतलब है कि आयोग ने पार्रिकर को इस संबंध में नोटिस जारी किया था और पार्रिकर ने अपने वकील जय अनंत देहदराय के माध्यम से 3 फरवरी को इसका जवाब दिया था। देहदराय ने आयोग को लिखे जवाब में कहा था कि पार्रिकर के बयान की सीडी कोंकणी भाषा में है और उसकी ट्रांस्क्रिप्ट, जो पार्रिकर को भेजी गई है, वह गलत है और ऐसा जान पड़ता है कि उसमें जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है और उसका गलत अनुवाद किया गया है। आयोग ने वकील के जवाब को देखते हुए मामले की छानबीन की और ट्रांस्क्रिप्ट की सत्यता का पता लगाया। उत्तरी गोवा के जिला चुनाव अधिकारी से प्राप्त सूचना के अनुसार सीडी में किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। सीडी में पार्रिकर के भाषण को फिर ट्रांसक्राइब किया गया और तीन सदस्यीय समिति द्वारा उस भाषण का अनुवाद भी किया गया एवं इसकी जानकारी आयोग ने 7 फरवरी को अपने पत्र के माध्यम से पार्रिकर को दी थी। 

वोट केवल कमल को ही मिले
पार्रिकर ने आयोग से अनुरोध किया था कि आयोग उनकी उपस्थिति और तीन सदस्यीय समिति की उपस्थिति में इस सीडी को फिर से सुने और उस बैठक में अच्छी तरह कोंकणी भाषा समझनेवाला एक व्यक्ति भी मौजूद रहे, जो यह समझाए कि पार्रिकर ने जो बयान दिया था, उसका सही अर्थ क्या था। आयोग ने पार्रिकर के अनुरोध को देखते हुए उनके पूरे भाषण को एक ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रांस्क्रिप्ट कराया, जो कोंकणी भाषा का विशेषज्ञ था। आयोग ने इस मामले का अध्ययन किया और पाया कि पार्रिकर ने यह कहा था- आप  2000 रुपए किसी से लेकर वोट कीजिए। यह सामान्य बात है। कोई रैली भी निकालेगा, इसमें भी कोई आपत्ति नहीं लेकिन अगर कोई 500 रुपया लेकर वहां आता है, तो आपको इस बात का खयाल रखना चाहिए कि वोट केवल कमल छाप को ही मिले। आयोग तीन सदस्यीय समिति और कोंकणी के विशेषज्ञ द्वारा किए गए अनुवाद का अध्ययन इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि पार्रिकर का बयान आदर्श आचार संहिता उल्लंघन है। 


 

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