पंजाब में भाजपा के लिए चुनाव प्रचार हुआ दुश्वार, उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ीं

Saturday, Apr 27, 2024 - 10:17 AM (IST)

नेशनल डेस्क: पंजाब में भाजपा के उम्मीदवारों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव प्रचार करना  दुश्वार हो गया है। किसान संगठनों से लोगों से भाजपा के उम्मीदवारों को प्रचार की अनुमति न देने की अपील की है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में भाजपा उम्मीदवारों को विभिन्न किसान समूहों के कम से कम 40 विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा है। कई जगहों पर उम्मीदवारों के साथ धक्का-मुक्की की घटनाएं भी सामने आई हैं।

इन नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन
रिपोर्ट में कहा गया है कि गायक-राजनेता व उत्तर पश्चिम दिल्ली के निवर्तमान सांसद हंस को लगभग हर दिन किसान संघों के विरोध का सामना करना पड़ा है, सबसे ज्यादा 15 विरोध प्रदर्शन फरीदकोट निर्वाचन क्षेत्र में हुए हैं, जहां से भाजपा ने हंस राज हंस को मैदान में उतारा है। इसी तरह अमृतसर में प्रदर्शनकारी किसानों ने कम से कम 10 चुनावी बैठकें बाधित कीं, जहां भाजपा ने पूर्व नौकरशाह तरनजीत सिंह संधू को मैदान में उतारा है। भाजपा उम्मीदवार और पटियाला से सांसद परनीत कौर को भी समाना और पटरान गांवों में दो विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा। बठिंडा में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर को भी 6 से ज्यादा प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा है।

वाई श्रेणी की सुरक्षा में हैं भाजपा उम्मीदवार
स्थानीय पुलिस प्रचार के लिए निकले भाजपा उम्मीदवारों को सुरक्षा प्रदान कर रही है। केंद्र ने पहले ही सभी भाजपा उम्मीदवारों को वाई  श्रेणी की सुरक्षा प्रदान कर दी है। पंजाब पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर कानून व्यवस्था को नियंत्रण में रखने के लिए सभी जिला पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि विरोध किसी भी संगठन का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन साथ ही, किसी भी पार्टी के प्रचार को बाधित करना भी आचार संहिता के खिलाफ है क्योंकि प्रचार करना भी उम्मीदवारों का लोकतांत्रिक अधिकार है।

भाजपा बोली किसान यूनियनें गुमराह  
भगवा पार्टी ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को प्रेरित बताया है और कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने स्वीकार किया कि इससे ग्रामीण इलाकों में पार्टी की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। राज्य भाजपा प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा कि पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ विरोध करने के लिए किसान यूनियनों को गुमराह किया जा रहा है। किसानों को भगवंत मान के नक्शेकदम पर नहीं चलना चाहिए जो राज्य से संबंधित गंभीर मुद्दों को हमेशा महत्वहीन बनाने पर तुले रहते हैं।

Mahima

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