मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह को किया गिरफ्तार

Friday, Dec 13, 2019 - 05:32 AM (IST)

नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) में कोष की कथित हेराफेरी से जुड़े धनशोधन के मामले में बृहस्पतिवार को फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि ईडी की टीम यहां स्थित तिहाड़ जेल पहुंची और शिविंदर को धनशोधन रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने हाल ही में उसे और अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था जिसके बाद शिविंदर तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में था।

दिल्ली की एक अदालत ने आज इस मामले में उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। ईडी ने पूर्व में शिविंदर के भाई मलविंदर मोहन सिंह को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था। आरएफएल रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) समूह की कंपनी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गुलशन कुमार ने आज शिविंदर की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसके न्याय से भागने और सुनवाई को प्रभावित करने की पूरी संभावना है।

आरएफएल के धन की हेराफेरी कर उसे अन्य कंपनियों में निवेश करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने सिंह के भाई मलविंदर (46), सुनील गोधवानी (58), कवि अरोड़ा (48) और अनिल सक्सेना को भी गिरफ्तार किया था। मलविंदर भी फोर्टिस हेल्थकेयर का पूर्व प्रवर्तक था। आरएफएल के मनप्रीत सूरी से शिविंदर, गोधवानी और अन्य के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद आर्थिक अपराध शाखा ने मार्च में प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोप था कि इन्होंने कंपनी का प्रबंधन करने के दौरान कर्ज लिया था लेकिन इस धन का अन्य कंपनियों में निवेश कर दिया।

पुलिस ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने वित्तीय आधार नहीं रखने वाली खुद के नियंत्रण वाली कंपनियों को कर्ज की रकम वितरित कर आरएफएल को खराब वित्तीय हालत में पहुंचा दिया। जिन कंपनियों को कर्ज की रकम दी गई, उन्होंने जानबूझकर पैसों का भुगतान नहीं किया जिससे आरएफएल को 2,397 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।'' अदालत ने कहा कि क्योंकि जांच महत्वपूर्ण चरण में है, मामले में हिरासत में पूछताछ अब भी जरूरी है।

पुलिस ने कहा, ‘‘वर्तमान मामला, नि:संदेह 2,400 करोड़ रुपये की बड़ी राशि से जुड़ा है। आरोपी (शिविंदर) ने अन्य सह - आरोपियों के साथ मिलीभगत कर कर्ज को वित्तीय आधार न रखने वाली कंपनियों को वितरित किया। वर्तमान मामले में जांच महत्वपूर्ण चरण में है और हिरासत में पूछताछ अभी जरूरी है। आरोपी के गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने की संभावना है।'' अदालत ने कहा कि इसलिए मामले की गंभीरता और तथ्यों पर विचार करते हुए न्याय के हित में जरूरी है कि आरोपी को जमानत न दी जाए। इसने कोष के गबन से जुड़े धनशोधन के एक अलग मामले में मलविंदर और गोधवानी की न्यायिक हिरासत 23 दिसंबर तक बढ़ा दी।

 

Yaspal

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