ईडी ने असलम वानी को गिरफ्तार किया, शाह की पत्नी से पूछताछ

Monday, Aug 07, 2017 - 12:39 AM (IST)

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित हवाला डीलर मोहम्मद असलम वानी को श्रीनगर से गिरफ्तार कर लिया। वानी को कश्मीरी अलगाववादी शब्बीर शाह के खिलाफ चल रहे करीब एक दशक पुराने मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। श्रीनगर से यहां लाए जाने के बाद दिल्ली की एक अदालत ने उसे 14 अगस्त तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया।

जांच एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य की पुलिस की मदद से वानी (36) को श्रीनगर से गिरफ्तार किया था। ईडी ने हाल ही में दिल्ली की एक अदालत से उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट हासिल किया था। एजेंसी ने इस मामले में उसकी पेशी के लिए कई समन जारी किए थे लेकिन वह कभी पेश नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘वारंट की तामील कर दी गई है और अब जांच को आगे बढ़ाने के लिए वानी का सामना शाह तथा अन्य से कराया जाएगा।’’  एजेंसी ने इसी मामले में शाह की पत्नी बिलकीस से भी पूछताछ की थी। उन्हें इस हफ्ते एक बार फिर बुलाया गया है और कुछ वित्तीय दस्तावेज जमा करने को कहा गया है। शाह को भी एजेंसी ने इसी तरह 26 जुलाई को श्रीनगर से गिरफ्तार किया था। इस समय वह ईडी की हिरासत में है।

इन दोनों के खिलाफ ईडी की यह कार्रवाई दरअसल अगस्त 2005 के उस मामले के सिलसिले में है, जहां दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई ने वानी को गिरफ्तार किया था। वानी ने शाह को सवा दो करोड़ रुपए पहुंचाने का दावा किया था। वर्ष 2010 में दिल्ली की एक अदालत ने वानी को आतंक के वित्तपोषण के आरोपों से तो बरी कर दिया था लेकिन उसे आम्र्स एक्ट के तहत दोषी करार दिया था। ईडी ने धन शोधन रोकथाम कानून के तहत शाह और वानी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। वानी को 26 अगस्त 2005 को कथित तौर पर 63 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार किया गया था, जो पश्चिम एशिया स्थित हवाला माध्यमों से आया था।

इसके अलावा उसके पास से कथित तौर पर भारी मात्रा में बारुद बरामद किया गया था। पूछताछ के दौरान उसने पुलिस को बताया कि 50 लाख रुपए शाह को और 10 लाख रुपए श्रीनगर में जैश ए मुहम्मद के एरिया कमांडर अबू बकर को दिए जाने थे और बाकी राशि उसके पास थी। वानी ने यह भी कहा कि उसने पिछले वर्षों में शाह और उसके संबंधियों को कई किश्तों में लगभग सवा दो करोड़ रुपए दिए। सूत्रों ने कहा कि ईडी इस मामले में कथित आतंक वित्तपोषण के अपराध से हुए लाभों की जांच करना चाहती है। 

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