भारत में 2025 में औसतन 9.4% वेतन वृद्धि, ई-कॉमर्स और वित्तीय सेवा क्षेत्र होंगे सबसे आगे: रिपोर्ट

punjabkesari.in Friday, Feb 28, 2025 - 04:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: 2025 के लिए EY (एर्न्स्ट एंड यंग) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में भारत के इंक में औसतन 9.4% वेतन वृद्धि का अनुमान जताया गया है। इस वृद्धि के लिए सबसे ज्यादा योगदान ई-कॉमर्स क्षेत्र से होगा, जिसमें डिजिटल कॉमर्स के विस्तार और बढ़ते उपभोक्ता खर्च से प्रेरित होकर वेतन में 10.5% की वृद्धि होने की उम्मीद है। यह वेतन वृद्धि तकनीकी प्रगति और उपभोक्ताओं के बदलते रुझानों के कारण होने वाली उन्नति को दर्शाती है।

ई-कॉमर्स के बाद वित्तीय सेवा क्षेत्र का स्थान है, जहां 10.3% वेतन वृद्धि का अनुमान है। यह वृद्धि विशेष रूप से फिनटेक विशेषज्ञों, डिजिटल बैंकिंग विशेषज्ञों और साइबर सुरक्षा पेशेवरों की बढ़ती मांग के कारण हो रही है। ये क्षेत्र नए डिजिटल उत्पादों और सेवाओं के विस्तार के कारण तेजी से उभर रहे हैं।

कुल मिलाकर वेतन वृद्धि का अनुमान

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कुल मिलाकर औसतन 9.4% वेतन वृद्धि की उम्मीद जताई गई है, जो 2024 के 9.6% से थोड़ा कम है। रिपोर्ट में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें वेतन वृद्धि 2025 में 10.2% होने की संभावना है। यह वृद्धि कंपनियों द्वारा डिजिटल परिवर्तन और स्वचालन में लगातार निवेश को लेकर है। हालांकि, IT और IT-सक्षम सेवा क्षेत्रों में वेतन वृद्धि में मंदी देखने को मिल सकती है, क्योंकि ये क्षेत्र स्वचालन और लागत में कटौती की दिशा में बढ़ रहे हैं।

IT क्षेत्र में वेतन वृद्धि में कमी

IT और IT-सक्षम सेवाओं में 2024 में 9.8% वेतन वृद्धि से घटकर 2025 में 9.6% होने का अनुमान है। इसके अलावा, IT-सक्षम सेवाओं में यह आंकड़ा 9.2% से घटकर 9% होने की संभावना है। यह बदलाव दक्षता बढ़ाने और कम कार्यबल संरचनाओं की ओर बदलाव को दिखाता है, जिससे इन क्षेत्रों में वेतन वृद्धि धीमी पड़ सकती है।

ऑटोमोटिव और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्रों का प्रदर्शन

ऑटोमोटिव, फार्मास्यूटिकल्स और विनिर्माण क्षेत्र स्थिर मुआवजा रुझान दिखाते हुए अपनी स्थिति बनाए रखेंगे। इन क्षेत्रों में वेतन वृद्धि में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं है और कंपनियां मुख्य रूप से लागत-प्रभावी दृष्टिकोण पर ध्यान दे रही हैं।

कर्मचारी पलायन दर और कार्यबल में बदलाव

2023 में कर्मचारी पलायन दर 18.3% से घटकर 2024 में 17.5% हो गई है, जो यह दर्शाता है कि कर्मचारी अब कंपनियों से कम पलायन कर रहे हैं। इसके अलावा, कंपनियों को अपने शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए पारंपरिक वेतन संरचनाओं से परे जाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

AI की भूमिका और नए कामकाजी रुझान

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कंपनियां AI-कुशल पेशेवरों पर विचार कर रही हैं, जिससे प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग और मशीन लर्निंग जैसी भूमिकाओं की मांग बढ़ रही है। कर्मचारियों की यह भी उम्मीद है कि AI उनके करियर को बदल देगा, जिससे अपस्किलिंग और अनुकूलनशीलता की मांग बढ़ेगी। इस दिशा में कंपनियां AI-संचालित वेतन मॉडल को बढ़ावा दे रही हैं, और आने वाले समय में वेतन बेंचमार्किंग और रीयल-टाइम वेतन समायोजन के लिए AI का उपयोग बढ़ सकता है।

लचीले कार्य विकल्पों की बढ़ती मांग

रिपोर्ट के अनुसार, 90% उत्तरदाता हाइब्रिड सेटअप में काम कर रहे हैं, जिसमें कार्यालय में काम करने और दूरस्थ कार्य दोनों के विकल्प होते हैं। इसके अलावा, 50% नियोक्ता ने गिग और अस्थायी भूमिकाओं में बढ़ती रुचि की सूचना दी है, जो लचीले रोजगार मॉडल की ओर बढ़ने का संकेत है। लचीले कार्य विकल्प कर्मचारियों की संतुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसे प्रतिभा अधिग्रहण रणनीतियों का हिस्सा माना जा रहा है।

सीईओ मुआवजे में बढ़ोतरी

निफ्टी 50 कंपनियों में सीईओ का मुआवजा भी 2023 से 2024 तक 18-20% बढ़ा है, जो कार्यकारी मुआवजे में महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है। विशेष रूप से प्रमोटर सीईओ पेशेवर सीईओ से 30-40% अधिक कमाते हैं, जो आंतरिक पदोन्नति और संगठनात्मक संरचनाओं को दर्शाता है।

दीर्घकालिक प्रोत्साहन योजनाओं का महत्व

कंपनियां अब कर्मचारी प्रदर्शन को संगठनात्मक लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिए दीर्घकालिक प्रोत्साहन योजनाओं का उपयोग कर रही हैं। ईएसओपी (Employee Stock Ownership Plan), आरएसयू (Restricted Stock Units) और एसएआर (Stock Appreciation Rights) का उपयोग बढ़ रहा है। 2020 में जहां 63% कंपनियां इन योजनाओं का इस्तेमाल करती थीं, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 75% हो गई है। विशेष रूप से ईएसओपी कर्मचारियों को प्रतिभा प्रतिधारण और धन सृजन में मदद कर रहा है।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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