मंत्रों के हेरफेर से गए थे रावण के प्राण, क्या आप इस सच से वाकिफ हैं

Monday, Oct 07, 2019 - 07:42 AM (IST)

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धार्मिक साहित्य में श्री राम को विष्णु भगवान का सातवां अवतार माना जाता है। अयोध्या नरेश दशरथ की आज्ञानुसार उनके पुत्र राम को 14 वर्ष का वनवासी जीवन व्यतीत करना पड़ा। वन में लंकापति रावण श्री राम की पत्नी सीता को छल से अपहरण करके उन्हें लंका ले गया। वानरों की सहायता से भगवान श्री राम ने लंका पर आक्रमण कर दिया। युद्ध भयंकर रूप धारण कर गया तब ब्रह्मा जी ने भगवान श्री राम को रावण के वध हेतु चंडी देवी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने को कहा। चंडी देवी की पूजा हेतु 108 नील कमल की व्यवस्था की गई। यह खबर रावण के गुप्तचरों ने रावण तक पहुंचा दी। तब रावण ने भी चंडी देवी को प्रसन्न करके अमरत्व प्रदान करने की लालसा-से यज्ञ करवाया। 

जब भगवान श्री राम चंडी पूजन कर रहे थे तो रावण ने अपनी योग माया से भगवान श्री राम की पूजा सामग्री में से एक नील कमल गायब कर दिया इससे भगवान श्री राम को अपना संकल्प टूटता नजर आने लगा। संकल्प टूटने पर चंडी देवी के रुष्ट होने का भय भगवान राम को सताने लगा। इस अवसर पर एक नील कमल फूल का मिलना कठिन था क्योंकि वह दुर्लभ पुष्प है जिसकी व्यवस्था करना संभव नहीं था। तब श्री राम को स्मरण आया कि उनके स्वरूप को कमल नयन मान कर भी पूजा जाता है क्यों न अपने संकल्प की पूर्ति हेतु अपना एक नयन ही चंडी देवी को अर्पित कर दिया जाए। तभी भगवान राम ने तुनीर से एक बाण निकाल कर अपना नयन निकालना चाहा। इस अवसर पर चंडी देवी प्रकट होकर बोली राम तुम्हारी पूजा से मैं अति प्रसन्न हूं तथा उन्हें विजयी होने का वरदान दिया।

उधर रावण ने भी चंडी को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ का आयोजन किया। उस यज्ञ में हनुमान जी एक ब्राह्मण बालक का रूप धारण करके शामिल हो गए। यज्ञ में उपस्थित ब्राह्मणों ने बालक ब्राह्मण की नि:स्वार्थ सेवा भाव देख कर उसे वर मांगने को कहा तब बालक ब्राह्मण ने कहा कि आप जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं उस मंत्र में मेरे कहने से एक शब्द बदल दीजिए। यज्ञ करने वाले ब्राह्मण इस रहस्य को नहीं समझ पाए। उन्होंने वैसा ही किया। ब्राह्मणों द्वारा किए इस क्रम से देवी रुष्ट हो गई तथा रावण के भाई का बंधुओं सहित सर्वनाश हो गया। 

Niyati Bhandari

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