होली में यहां पुरुष भी बांधते हैं पैरों में घुंघरू और थिरकते चंग की थाप पर

Monday, Mar 25, 2024 - 01:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क: होली का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में होली का अलग अंदाज देखने को मिल रहा है। यहां होली के त्योहार को गैर नृत्य के रूप में मनाया जा रहा है, जो कि इस क्षेत्र की पारंपरिकता का प्रतीक है। राजस्थान की लोक परंपराओं और प्रथाओं में फाल्गुन मास के गीत और चंग की थाप अपना एक अलग ही महत्व रखते हैं। जालौर में ग्रामीण आँचल में मनाये जाने वाले होली पर्व पर होने वाला पारंपरिक गैर नृत्य चार चांद लगा देता है, होली पर्व पर दूरदराज बैठे प्रवासी भी इस त्योहार पर होली के इस परंपरागत गैर नृत्य का आनंद उठाने आते हैं।



गैर नृत्य की महत्वपूर्ण बातें:
- परंपरिक गैर नृत्य: 
जालौर के ग्रामीण क्षेत्रों में होली के त्योहार पर परंपरागत गैर नृत्य का आयोजन होता है। इसमें स्थानीय लोग एक-दूसरे के साथ फाग गीत गाते हैं और ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं। चंग की थाप बजने से उठते सूरों के साथ कदम से कदम मिलाकर ऐसा नृत्य करते हैं कि, जिसे देखकर शहरवासियों के कदम थम जाते हैं।

- गैरियों की परंपरागत पोशाक: गैर नृत्य करने वाले गैरियों की परंपरागत पोशाकों में सफेद धोती, सफेद अंगरखी, और रंगबिरंगी पगड़ियां शामिल होती हैं। उनके पैरों में घुंघरू बंधे होते हैं जो नृत्य के साथ मिलते हैं। 

- परंपरागत नृत्य: गैर नृत्य के दौरान पुरुष गैरियां गोल घेरे में नृत्य करती हैं, जो कि इस परंपरा का हिस्सा है।



गैर नृत्य करवाने वाले वेलाराम माली बताते हैं, कि यह गैर परंपरागत रूप से चलती आई है। गैर नृत्य प्रस्तुत करने वाले गैरिये परंपरागत तरीके से नवजात बच्चों की ढुंढ भी करवाते है, और बहुत ही हंसी-मजाक करते हैं। यह परंपरा राजा महाराजाओं की जमाने से चली आ रही है। होली के इस परंपरागत गैर नृत्य में लोग खुशियों में रंग भरते हैं और परंपरागतता को मजबूती से निभाते हैं। यह त्योहार राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

Mahima

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