लॉकडाउन में बैंक हो रहे कंगाल, लोगों ने निकाल लिया रिकॉर्ड तोड़ कैश

Saturday, Mar 28, 2020 - 08:04 PM (IST)

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से बचने के लिए देश में लागू लॉकडाउन ने आर्थिक रूप से लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। भले ही सरकार लोगों के घर तक पैसे पहुंचाने जैसी मदद कर रही है लेकिन फिर भी नकद पैसे को लेकर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

कहा जा सकता है कि इस इमरजेंसी के बीच लोगों की निर्भरता कैश पर बढ़ रही है। इसी के चलते पिछले महीनों की तुलना में मार्च में कैश की मांग सबसे ज्यादा रही है।

क्या कहते हैं आंकड़े
रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों की माने तो, 13 मार्च को खत्म होते फाइनेंसियल इयर में जमाकर्ताओं ने 53,000 करोड़ रुपए की नकदी बैंकों से निकाली है। यह अमाउंट पिछले 16 महीने के मुकाबले कैश निकालने का सबसे बड़ा स्तर है।

रिजर्व बैंक के मुताबिक, इतनी बड़ी मात्रा में कैश का निकाला जाना सिर्फ त्यौहारों या चुनाव के वक्त देखा जाता रहा है। लेकिन पिछले 15 दिन में बैंकों द्वारा इतना ज्यादा कैश जारी किया गया है। आंकड़ों के अनुसार, 13 मार्च तक लोगों के पास कुल 23 लाख करोड़ रूपये कैश था।

क्या कहते हैं जानकार
इस कंडीशन में अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भले ही ऑनलाइन ट्रांजेक्शन लोग ज्यादा कर  रहे हैं लेकिन इमरजेंसी जैसे हालातों में लोग ने सावधानी और डर के चलते ऐसा किया है। ये ठीक नोटबंदी के हालातों जैसा है। तब लोग अपने ही पैसे के लिए तरसे थे, उस हालात से सबक लेते हुए लोगों को अब ऐसा लग रहा है कि कहीं जल्द वैसे ही हालात न पैदा हो जाएं इसलिए लोग कैश निकाल रहे हैं।

मार्किट पर पड़ेगा असर
जानकारों की माने तो ज्यादा कैश निकालने से बाजार पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ने की आशंका है। इस बारे में स्टेट बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट एसके घोष ने अपने हालिया रिसर्च नोट में भी लिखा था। उन्होंने लिखा, लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर जरूरी चीजों की खरीदारी कैश में होगी। अचानक से नकदी की डिमांड बढ़ने की स्थिति में बैंकों को कैश की डिलीवरी सुनिश्चित करनी होगी। यानी बैंक आने वाले कुछ समय में कैश की किल्लत से जूझेगा।

इसका गणित ये है कि  बैंकों से ज्यादा कैश निकालने से बैंक की जमाओं यानी बैंक के पास मौजूद कैश में कमी आने जैसे हालात बन जाते हैं। इसी वजह से फाइनेंसियल मार्किट यानी स्टॉक एक्सचेंज में उतार-चढ़ाव के समय के दौरान कैश की कमी मार्किट को प्रभावित कर सकती है।

ऑनलाइन मार्केटिंग से पड़ा असर
लॉकडाउन के बाद लगभग हर बड़ी सर्विस पर सरकार द्वारा रोक लगा दी गई है। ऑनलाइन मार्केटिंग सुविधा देने वाली कंपनियों पर भी इसका असर पड़ा है। लोगों ने सभी बड़ी और सभी जरूरतों की ऑनलाइन खरीददारी को कैंसिल कर दिया है. चूंकि लोकल राशन की दुकाने खुली रखी गई हैं इसलिए लोग ऑनलाइन की जगह लोकल बाजार से सामान खरीद रहे हैं।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि लोग पहले से ही डरे थे इसलिए लॉकडाउन के पहले और बाद में, लोगों ने कैश निकाल लिया और जरुरी सामान लोकल मार्किट से खरीद लिया। आगे के लिए भी लोगों ने कैश निकालना सही समझा और इसी आशंका से बैंकों से बड़ी मात्रा में रकम निकल गई। भले ही बैंक ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को प्रमोट किया लेकिन मध्यमवर्गीय परिवार ने ऑनलाइन न जाते हुए लोकल बाजारों का रुख किया और इससे बैंकों पर असर पड़ा।

 

 

Chandan

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