महाराष्ट्र के 180 तालुकों में सूखे जैसी स्थिति: देवेंद्र फड़णवीस

Tuesday, Oct 23, 2018 - 09:28 PM (IST)

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने मंगलवार को कहा कि राज्य के करीब 180 तालुके सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। फड़णवीस ने कहा कि केंद्र द्वारा तय किए गए मानदंडों के आधार पर इन तालुकों की पहचान की गई है। स्थिति इसलिए खराब हुई है क्योंकि राज्य में इस साल कम बारिश हुई है। विपक्षी कांग्रेस ने स्थिति पर भाजपा नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को राज्य में सीधे सूखा घोषित करना चाहिए और स्थिति को बताने के लिए ‘कमी जैसी’ या ‘सूखा जैसी’ शब्दावली का इस्तेमाल करना बंद करना चाहिए। 

फड़णवीस ने साप्ताहिक कैबिनेट बैठक के बाद कहा, ‘महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति बन गई है। राज्य में वाॢषक औसत की केवल 77 प्रतिशत बारिश हुई है। मैंने केंद्र के मानदंडों के अनुसार 180 तालुकों को सूखे जैसी स्थिति का सामना करने वाला घोषित किया है और स्थिति के मद्देनजर तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं।’ राज्य में 36 जिलों में से 350 से ज्यादा तालुके हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राहत उपाय शुरू कर दिए हैं जिसमें भूमि राजस्व, शिक्षण फीस में रियायत, कृषि पंपों के लिए बिजली की आपूर्ति जारी रखना और पीने के पानी के लिए टैंकरों को तैनात करना शामिल है। फड़णवीस ने कहा कि केंद्र सरकार की टीम जल्द राज्य का दौरा करेगी और स्थिति से निपटने के लिए वित्तीय सहायता घोषित करेगी। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट पर विपक्ष की आलोचना के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बीते तीन साल में कम बारिश हुई है। 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 252 तालुकों के 14000 गांवों में भूजल का स्तर कम से कम एक मीटर तक गिरा है। कांग्रेस द्वारा अहम ‘जलयुक्त शिविर’ योजना की आलोचना को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों ने इस योजना को कामयाब बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि योजना में भ्रष्टाचार हुआ है और इसे लागू करने के बावजूद भूजल का स्तर चिंतनीय ढंग से गिरा है। उन्होंने कहा कि तीन साल से कम बारिश हो रही है और किसान खेती के लिए भूजल का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए कृषि उत्पादन में 27 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 

महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने मंगलवार को कहा कि फड़णवीस सरकार को राज्य में तुरंत सूखा घोषित करना चाहिए और स्थिति से निपटने के लिए वित्तीय सहायता मुहैया करानी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि राज्य में स्थिति गंभीर है। किसानों को खरीफ फसल का नुकसान हुआ है जबकि रबी की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद मंत्री ‘कमी जैसे’ और ‘सूखा जैसे’ शब्दों से खेलने में व्यस्त हैं। चव्हाण ने कहा कि ‘जलयुक्त शिवार’ राज्य का सबसे बड़ा घोटाला है।

shukdev

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