डॉ. कफील खान ने UN को लिखा पत्र, योगी सरकार द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का लगाया आरोप

Monday, Sep 21, 2020 - 07:36 PM (IST)

नेशनल डेस्कः बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के समूह को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि मथुरा जेल में रहने के दौरान उन्हें ‘यातना' दी गई थी। खान को पिछले साल सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तारी के उपरांत मथुरा जेल में रखा गया था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों को भेजे गये पत्र में कफील ने जेल में अपने साथ हुये दुर्व्यवहार का जिक्र करते हुए कहा, ''मुझे मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से प्रताड़ित किया जाता था, कई कई दिन खाना और पानी नहीं दिया जाता था। क्षमता से अधिक कैदियों से भरी जेल में रहने के दौरान मेरे साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था।''

खान ने 17 सितंबर को एक पत्र के जरिये संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों को धन्यवाद दिया। यह पत्र उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की 26 जून 2020 की उस चिट्ठी के संदर्भ में लिखा है जिसमें इनलोगों ने भारत सरकार से उन्हें तुरंत रिहा करने की अपील की थी। यह मानवाधिकार समूह स्वतंत्र विशेषज्ञों का है और इसमें संयुक्त राष्ट्र के कर्मी शामिल नहीं हैं। खान को हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी। खान ने सोमवार को कहा, ''राजनीतिक असंतुष्टों के विरूध्द बिना किसी सुनवाई के कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून/यूएपीए के लगाना सभी मामलों में निंदनीय है।'' उन्होंने कहा, ''मैं उच्च न्यायालय का सम्मान करता हूं जिसने पूरी प्रक्रिया को अवैध बताते हुये मुझे जमानत दे दी।

अदालत ने रासुका के तहत लगाये गये आरोपों को हटा दिया और मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मेरे भाषण से ऐसा कही नहीं लगता है कि मैंने किसी प्रकार की हिंसा को भड़काया है और न ही अलीगढ़ शहर की कानून व्यवस्था को कोई खतरा पैदा हुआ था।'' खान ने कहा, ''मैंने पत्र में लिखा है कि मुख्य न्यायाधीश ने माना कि जिलाधिकारी अलीगढ़ ने मेरे भाषण के कुछ पैरा को ही पेश किया और बाकी भाषण को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। अदालत ने साफ किया कि उसे रासुका हटाने में कोई झिझक नहीं है और कानून की नजर में हिरासत को बढ़ाना भी ठीक नहीं है।''

इससे पहले जब वह जेल में थे तब उनकी पत्नी शबिस्तान खान ने 29 फरवरी 2020 को भारत सरकार द्वारा उन्हें गलत तरीके से हिरासत में रखने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ समूह को पत्र लिखा था। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तरल ऑक्सीजन की कमी के मामले में नौ आरोपियों में से एक थे और गोरखपुर जेल में भी बंद रहे थे। गौरतलब है कि 12 से 17 जुलाई 2017 के बीच तरल ऑक्सीजन की कमी के कारण बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 70 बच्चों की मौत हो गयी थी।

 

Yaspal

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