दहेज के लिए नहीं जलेंगी बेटियां:शराबबंदी के बाद होगी दहेजबंदी

Saturday, Apr 08, 2017 - 06:58 PM (IST)

पटना :  शराबबंदी के फैसले के बाद अब नीतीश कुमार ने सामाजिक बदलाव के लिए अगला कदम दहेजबंदी के रूप में बढ़ाया है, जो समाज के लिए खासकर समाज की बेटियों के लिए एक बड़ा कदम है, अगर यह भी सख्ती से लागू हो जाए और इस दिशा में सरकार की पहल काम कर जाए तो समाज में क्रांति जैसी ही बात होगी। दहेज प्रथा के दानव ने अबतक जाने कितनी बेटियों की बलि ले ली है। जिंदा जला दी गईं बेटियों के लिए ना समाज कुछ कर पाता है ना कानून।

दहेज प्रथा पर रोक लगाने के लिए वैसे तो हमारे देश में सख्त कानून हैं, लेकिन गाहे-बगाहे कुछ मामले तो अदालत तक पहुंच भी नहीं पाते और कुछ पहुंच भी जाते हैं तो लंबी प्रक्रिया और जांच के पेंच में एेसे फंस जाते हैं कि कम ही बेटियों को न्याय मिल पाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाज कल्याण विभाग के कामकाज की समीक्षा बैठक कर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरुद्ध बड़े जागरूकता अभियान की योजना बनाएं।

इस फैसल के पीछे क्या है कारण
3 अप्रैल 2017 को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में आयोजित लोक संवाद कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने पहली बार आधी आबादी से बात कर उनकी समस्याएं सुनीं। महिलाओं ने मुख्यमंत्री को दहेज प्रथा, कॉमन रूम और महिला शिक्षा को लेकर अहम सुझाव दिए।लोक संवाद में गुंजन पांडेय ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी की तरह दहेजबंदी का भी कानून बनाया जाए। यह बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल के अंदर कहीं कोने में जाकर बैठ गई। उन्होंने हर साल दहेज के दानवों के भेंट चढी बेटियों के बारे में सोचा होगा और इसे ही अमल में लाने के लिए  महिलाओं की दुख-पीड़ा को समझकर अब दहेजबंदी के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया है।

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