सांपों को पालने में माहिर है पाकिस्तान

Tuesday, Jul 05, 2016 - 02:03 PM (IST)

आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने कराची की एक अदालत के बाहर खुलेआम यह कहकर चंदा मांगा कि वह अफगानिस्तान में अमरीका और कश्मीर में भारत के खिलाफ जिहाद कर सके। आतंकियों की हिम्मत देखें कि आतंकियों ने रमजान के पवित्र महीने में इस मस्जिंद में आने और जाने वाले लोगों को बकायदा रोक-रोक कर चंदा मांगा गया और इसे इकट्ठा करने का मकसद भी बताया। संभव है कि जान बचाने के डर से कुछ लोगों ने चंदा दे भी दिया हो, लेकिन यह पाकिस्तान की कानून और व्यवस्था पर यह एक तमाचा है। उसका पक्ष लेने वाले देशों को इसके  वीडियो दिखाए जाने चाहिए।

जारी वीडियो में दिखाया गया है कि पुलिस बंदोबस्त के बीच मौलाना मसूद अजहर और कारी सैफुद्दीन अख्तर लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे दिल खोल कर चंदा दें, ताकि भारत के खिलाफ मुजाहिद्दीनों की मदद कर सकें। भारत के खिलाफ आग उगलने वाले इन आतंकियों को न पुलिस ने रोका और न ही सरकार ने अब तक उनके खिलाफ कार्रवाई की। इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान पर भारत यूं ही आरोप नहीं लगाता है। पाकिस्तान का यही रवैया एशिया में शांति स्थापित करने में सबसे बड़ी बाधा है। उसकी जमीन का इस्तेमाल करके आतंकी अमरीका औा भारत के खिलाफ हिंसक कार्रवाई का खुलेआम एलान करके साजिश का ताना बाना बुन रहै हैं। 

पाक सरकार ने अब तक उन्हें ऐसा न करने की कोई चेतावनी नहीं दी है। हाल में अमरीकी सीनेटरों के समक्ष पाकिस्तान के अधिकारी और नेता किस मुंह से आतंकवाद के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें और दावे कर रहे थे। यह चूक अमरीका बार-बार करता रहा है और पाकिस्तान के असली चेहरे को नजरअंदाज कर देता है। भारत और अमरीका का नाम लेकर उनके खिलाफ आतंकी कार्रवाई के लिए चंदा मांगना और पाक सरकार का चुप्पी साध लेने से साफ हो जाता है कि उसकी इजाजत से आतंकियों का दुस्साहस बढ़ता ही जा रहा है।

मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान में बेफिक्र होकर इसलिए घूमता रहता है कि सरकार उसका पूरा सहयोग कर रही है। उनका जब मन करता है वह हमलों के बारे में वीडियो जारी कर देता है। समी-उल-हक उर्फ आसिम उमर भारत में अलकायदा का सरगना है जिसे अमरीका आतंकवादियों की सूची में शामिल कर चुका है। मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान में जैश ए मौहम्मद का सरगना है। पाकिस्तान में उसे पुलिस संरक्षण मिला हुआ है। क्या अमरीका को इसकी जानकारी नहीं है। वह पाकिस्तान पर कड़े प्रतिबंध क्यों नहीं लगा देता, जिससे वह इतना असहाय हो जाए कि आतंक के सफाए के लिए उसे अमरीका की हर बात माननी ही पड़े।

कुछ महीने पहले पाकिस्तान के एक पूर्व वरिष्ठ मंत्री ने कबूल किया था कि वहां सरकार जमात उद दावा (जेयूडी) और जैश ए मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती, क्योंकि 'शासन उनके साथ खुद संलिप्त रहा है।' इससे बात यह बात सिद्ध होती है कि जो सरकार के करीब होता है उसे वह अपना पूरा संरक्षण देती है, न कि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई। और उनका दबाव भी सहन करती है।

इस क्या माना जाए कि वर्ष 2002 में जब भारतीय संसद पर हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तान ने प्रतिबंध कर दिया था वह सिर्फ कागजी  ही है। जैश ट्रेनिंग के लिए बेरोकटोक पाकिस्तान आर्मी के सेंटर्स का इस्तेमाल करता है। इसकी पुष्टि सैटेलाइट इमेजेस से भी हो चुकी है। जारी की गई ताजा वीडियो फुटेज के मुताबिक मस्जिदों में नमाज के लिए आने वाले लोगों से भारत का नाम लेकर अपील की जा रही है कि वे जिहादियों को भेजने के लिए चंदा दें। फंड जुटाने वाले कह रहे हैं कि जैश-ए-मोहम्मद के मुजाहिदीनों की मदद कीजिए। ये इस्लाम के मुजाहिदीन हैं। इसे नकारने का पाक सरकार के पास है कोई दावा?

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